एसडी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में एककृकृत्रिम बुद्धिमत्ता के संबंध में फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके कॉलेज प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप मित्तल व बीसीए, बीएससी (कंप्यूटरसाइंस) के विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव तायल, बीबीए विभागाध्यक्ष राजीव पाल सिंह व बीजेएमसी के विभागाध्यक्ष रोहन त्यागी ने किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कॉलेज प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप मित्तल ने बताया किकृकृत्रिम बुद्धिमत्ता ( कंप्यूटर सिस्टम का सिद्धांत और विकास है जो ऐसे कार्य करने में सक्षम है, जिनके लिए ऐतिहासिक रूप से मानवीय बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है, जैसे कि भाषण को पहचानना, निर्णय लेना और पैटर्न की पहचान करना। ।प् एक व्यापक शब्द है जो मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग सहित कई तरह की तकनीकों को शामिल करता है। हालाँकि इस शब्द का इस्तेमाल आज इस्तेमाल की जाने वाली कई तरह की तकनीकों के लिए किया जाता है, लेकिन कई लोग इस बात पर असहमत हैं कि क्या ये वास्तव मेंकृकृत्रिम बुद्धिमत्ता का हिस्सा हैं। इसके बजाय, कुछ लोग तर्क देते हैं कि आज वास्तविक दुनिया में इस्तेमाल की जाने वाली ज्यादातर तकनीक वास्तव में अत्यधिक उन्नत मशीन लर्निंग का हिस्सा है जो कि वास्तविककृकृत्रिम बुद्धिमत्ता या सामान्यकृकृत्रिम बुद्धिमत्ता की ओर पहला कदम है।

विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव तायल ने बताया कि इस बात पर कई दार्शनिक असहमतियों के बावजूद कि क्या सच्ची बुद्धिमान मशीनें वास्तव में मौजूद हैं, जब अधिकांश लोग आज ।प् शब्द का उपयोग करते हैं , तो वे मशीन लर्निंग-संचालित प्रौद्योगिकियो ंके एक समूह को संदर्भित करते हैं। बीबीए विभागाध्यक्ष राजीव पाल सिंह ने बताया कि कृत्रिम बुद्धि (एआई) का दायरा मशीनों के प्रयोग को तेजी से सुगमबना रही है रहीं हैं, जिन कार्यों के लिए पहले मानव की बुद्धिमत्ता चाहिए थी, अब वह कार्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दायरे में आते हैं। बीजेएमसी के विभागाध्यक्ष रोहन त्यागी ने बताया कि समस्याओं का हल करते समय, मशीनों को दुनिया के बारे में व्यापक ज्ञान की आवश्यकता होगी।कृकृत्रिम बुद्धि को प्रतिनिधित्व करने के लिए वस्तुओं, गुण, श्रेणियों, समाधान, घटनाओं, समय, कारण और प्रभाव के बीच संबंधों आदि चीजों की जरूरत है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हिमांशु शर्मा व अभिषेक बागला ने बताया कि सरलतम स्तर पर मशीन लर्निंग डेटा सेट पर प्रशिक्षित एल्गोरिदम का उपयोग करके मशीन लर्निंग मॉडल बनाता है जो कंप्यूटर सिस्टम को गाने की सिफारिशें करने, किसी गंतव्य तक यात्रा करने का सबसे तेज तरीका पहचानने या एक भाषा से दूसरी भाषा में पाठ का अनुवाद करने जैसे कार्य करने की अनुमति देता है। आज उपयोग में आने वाले ।प् के कुछ सबसे आम उदाहरणों में गूगल अनुवाद, चैटजीपीटी, नेटफ्लिक्स, टेस्ला आदि कृकृत्रिम बुद्धिमत्ता कई उद्योगों में प्रचलित है। ऐसे कार्यों को स्वचालित करना जिनमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है, पैसे और समय की बचत करता है, और मानवीय त्रुटिके जोखिम को कम कर सकता है। कार्यक्रम में बीबीए बीसीए, बीएससी (कंप्यूटरसाइंस) बीजेएमसी विभाग से रॉबिन गर्ग, चन्दना दीक्षित, मोहित गोयल, अनुज गोयल हर्षिता, निरंकार शर्मा, देवेश भारद्वाज, वैभव वत्स, दीपकगर्ग, डॉ. संगीता गुप्ता, सोनिका, पूर्वी, प्राची संगल, संजय शर्मा, मोहम्मद अनजर, राहुल शर्मा, रोबिन मालिक, श्वेता, शशांक, प्रशांत गुप्ता, अमित, विनीता, उमेश मालिक, लवी वर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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