जनपद में पराली जलाने पर प्रतिबन्ध, गाइडलाइन जारी

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने जनपद के सभी किसानों को सूचित किया है कि फसल अवशेष जलाये जाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम हेतु कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ यथा सम्भव सुपर एसएमएस का प्रयोग किया जाये, जिससे पराली प्रबन्धन कटाई के समय ही हो जाये। इसके साथ ही  सुपर एसएमएस के विकल्प के रूप मे अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन के यन्त्र जैसे स्ट्रा रीपर, स्ट्र रेक, बेलर व मल्चर, पैडी स्ट्रा चॉपर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, रिर्वसेबुल एमबी प्लाऊ का भी प्रयोग कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ किया जाये, जिससे खेत मे फसल अवशेष बण्डल बनाकर अन्य उपयोग मे लाया जा सकें अथवा काट कर मिट्टी मे मिलाया जा सके। कम्बाईन हार्वेस्टर के संचालक की जिम्मेदारी होगी कि कटाई के दौरान उपरोक्त समस्त व्यवस्था सुनिश्चित कराते हुए कटाई का कार्य करेगें।

उन्होंने निर्देश दिये हैं कि यदि कम्बाईन स्वामी द्वारा बिना फसल अवशेष प्रबन्धन के यथा यन्त्रो एसएमएस, स्ट्र रीपर, एंव स्ट्र रेक, आद्वि का उपयोग किये बिना प्रयोग किया जाता है तो उसपर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। यदि कोई किसान बिना पराली को हटाये रबी की बुवाई के समय जीरो ट्रिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, हैप्पी सीडर या सुपर सीडर का प्रयोग कर सीधे बुवाई करना चाहता है या फिर डिकम्पोजर का प्रयोग कर पराली का प्रबन्धन करना चाहता है तो ऐसे किसान अनिवार्य रूप से इस आश्य का घोषणापत्र सम्बन्धित उपसम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी को देगें कि उसके द्वारा पराली नही जलायी जायेगी, अपितु रबी की बुवाई के समय उक्त यन्त्रोध्डीकम्पोजर का प्रयोग किया जायेगा।

उन्होंने कहा है कि पत्ती पराली जलने की घटनाओं की मॉनीटरिंग भारत सरकार द्वारा सटेलाईट के माध्यम से होती है और कोई भी घटना होती है तो इसकी रिपोर्ट सीधे सटेलाईट के माध्यम से जिला प्रशासन को प्राप्त होती है और उप जिलाधिकारी तथा थाना प्रभारी एंव सम्बन्धित अधिकारियों का सचल दस्ता तत्काल घटना स्थल पर पहुचेगा, जो शासन के निर्देशो के क्रम मे  अर्थदण्ड 02 एकड से कम क्षेत्र के लिए  5000 रूपये प्रति घटना, 02 एकड से 05 एकड के लिए 10000 रूपये प्रति घटना एंव 05 एकड से अधिक क्षेत्र के लिए 30000 रूपये प्रति घटना तथा अन्य विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करेगा।

जिलाधिकारी ने सभी किसानों से अनुरोध किया है कि फसल अवशेष न जलाये तथा अपनी मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनायें। उन्होंने सलाह दी है कि पराली प्रबन्धन किये जाने हेतु अधिक से अधिक पराली मिट्टी मे मिलाकर कार्बनिक खाद मे परिवर्तित करें या गौशालाओ के लिए दान दें।

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