गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ विश्व का प्रथम छंदबद्ध भारत का संविधान

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। संविधान भारत का सर्वोच्च विधान है, जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। इस पुस्तक में विश्व के प्रथम छंदबद्ध भारत का संविधान में मूल संविधान के 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित 12 अनुसूचियाँ ,जो 2110 दोहे, 422 रोला, 24 अन्य छंदबद्ध कालजयी काव्य ग्रंथ समाहित है, इसमें भारत के 18 राज्यों के अलावा चार देशों के साहित्यकार के अलावा 14 वर्ष के बालक शामिल हुए। इस काव्य में 142 सदस्य, प्रमुख संपादक डॉ. ओंमकार साहू मृदुल, संपादक डॉ. सपना दत्ता सुहासिनी, सह संपादक डॉ. मधु शंखधर स्वतंत्र, जन जागरण समिति प्रेमनगर के अध्यक्ष डॉ रूपेश साहू के अथक प्रयास से यह छंदबद्ध भारत का संविधान 'गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में शामिल किया गया है, जो आज भव्य पुस्तक विमोचन एवं सम्मान समारोह हिंदी भवन विष्णु दिगम्बर मार्ग नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. श्याम सिंह 'शशि' (पद्मश्री), मुख्य अतिथि मिनाक्षी लेखी ( पूर्व विदेश मंत्री एवं सांस्कृतिक राज्य मंत्री) विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेश सिंह शौर्य 'प्रियदर्शी' (पुलिस प्रशासनिक अधिकारी गृहमंत्रालय), डॉ. संतोष खन्ना (पूर्व न्यायाधीश) , डॉ. राम सिंह (वरिष्ठ साहित्यकार), शकुंतला कालरा (वरिष्ठ साहित्यकार), चेतन आनंद (कवि एवं पत्रकार), पंकज शर्मा (आज तक एडिटर), आलोक कुमार (भारत प्रमुख गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड), आदि की उपस्थिति में संपन्न हुआ। 

विश्व का प्रथम छंदबद्ध भारत का संविधान पुस्तक ही नहीं अपितु एक ग्रंथ में सुषमा पारख द्वारा अनुच्छेद 303-307 को दोहा एवं रोला में छंदबद्ध किया जो यह पुस्तक गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ सुषमा पारख का भी नाम में दर्ज हुआ है। सुषमा पारख को साहित्य के लिए शतक के क़रीब सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
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