मेरा जमाना
डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
मुझे वो पगडंडियों
अब दिखती नहीं
जिन पर मैं चला करता था।
मुझे वो आम के बाग 
अब नहीं मिलते
जिन्हें देख न्नहे फूल मचलते थे।
मुझे वो नदियां
अब नहीं मिलती
जिनमें बाल- गोपाल नहाया करते थे।
मुझे वो सुकून की नींद
अब नहीं मिलती
जो माँ की गोद में आया करती थी।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल
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