राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सर संघ चालक रज्जू भैया को 102वें जन्मदिन पर याद किया

शि.वा.ब्यूरो, सहारनपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सर संघ चालक प्रो0 राजेन्द्र सिंह उर्फ रज्जू भैया को आज उनके 102 वें जन्मदिन पर भावपूर्ण  ढंग से याद किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक प्रवीर कुमार ने कहा कि आज रज्जू भैया के पुरूषार्थ की पराकाष्ठा का प्रतिफल भगवान श्रीराम का मंदिर पुर्नप्रतिष्ठित हो गया है, जिससे उनकी आंखे तृप्त हो रही होगी। 

उन्होंने कहा कि 1977 में रज्जू भैया सह सरकार्यवाह, 1978 में सरकार्यवाह और 1994 में सरसंघचालक बने। उन्होंने देश भर में प्रवास कर स्वयंसेवकों को कार्य विस्तार की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि बीमारी के कारण उन्होंने 2000 ई0 में श्री सुदर्शन जी को यह दायित्व दे दिया। इसके बाद भी वे सभी कार्यक्रमों में जाते रहे। अन्तिम समय तक सक्रिय रहते हुए 14 जुलाई, 2003 को कौशिक आश्रम, पुणे में रज्जू भैया का देहान्त हो गया। प्रवीर कुमार ने कहा कि आपातकाल के दौरान रज्जू भैया ने प्रोफेसर गौरव कुमार के छदम नाम से देशभर में प्रवास किया। उन्होंने कहा कि जेलों में बंद विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर उनको मतभेद भुलाकर एक साथ खडे होने को प्रेरित किया, जिसके नतीजे में 1977 में बनी जनता पार्टी ने इंदिरा गांधी को सत्ता मुक्त कर देश से तानाशाही का खात्मा किया। 

बता दें कि 29 जनवरी 1922 को बुलंदशहर के गांव बनैल में प्रतिष्ठित क्षत्रिय परिवार में उनका जन्म हुआ। उनके पिता कुंवर बलवीर सिंह ब्रिटिश शासन में पहले मुख्य अभियंता  थे। महत्वपूर्ण है कि नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डा. सीवी रमन प्रयागराज में उनकी एमएससी की प्रयोगात्मक परीक्षा लेने आए थे और उनसे प्रभावित होकर उन्हें अपने साथ बैंगलौर चलकर शोध करने के कार्य में लगने को कहा था, लेकिन वैज्ञानिक बनने के बजाए रज्जू भैया हिंदू संगठन एवं राष्ट्र निर्माण के कार्यों में लग गए। वह उत्तर भारत के एवं गैर ब्राहमण इकलौते संघ प्रमुख रहे। उन्हें उदार, संयमी, कुशल एवं प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के रूप में याद किया जाता है।

Comments