राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डाॅक्टर बुद्ध रश्मि मणि ने किया श्री बाला जी सत्यधाम का लोकापर्ण

हवलेश कुमार पटेल, गोरखपुर। पहले अयोध्या में खुदाई करवाने के बाद उसमें प्राप्त तथ्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में रामलला का जन्म स्थान प्रमाणित करके मन्दिर की स्थापना में नींव का पत्थर बने और फिर गोरखपुर के धर्मनगर चैकडी स्थित श्री बालाजी सत्यधाम का लोकापर्ण कर डाॅक्टर बुद्ध रश्मि मणि इस कडी में पूरी तरह महत्वपूर्ण रूप से प्रासंगिक हो गये हैं। यह कहना है श्री बाला जी सत्यधाम के पीठाधीश्वर प्रेमजी महाराज उर्फ हृदय नारायण चतुर्वेदी का। 

उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारी के तौर पर डाॅक्टर बुद्ध रश्मि मणि ने वर्ष 2003 में रामजन्म भूमि की छः माह तक खुदाई करके उसमें मिले प्रमाणों को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसे कोई चुनौती नहीं दे पाया था। उन्होंने बताया कि उक्त रिपोर्ट ही श्रीराम लला के भव्य मन्दिर निर्माण का आधार बनी थी। प्रेमजी महाराज उर्फ हृदय नारायण चतुर्वेदी ने बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम ने सुप्रीम कोर्ट में साबित किया था कि राममन्दिर क्षेत्र की खुदाई में मिले तीन मन्दिर के अवशेष 10वीं, 11वीं व 12वीं शताब्दी के थे।

बता दें कि अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के महानिदेशक व भारतीय बिरासत संस्थान नोएडा के कुलपति डाॅक्टर बुद्ध रश्मि मणि अपनी धर्मपत्नी डॉक्टर सुषमा सहित श्री बाला जी सत्यधाम धर्मनगर चैकडी में पधारे, यहां उन्होंने संकटमोचन श्री बालाजी सरकार के दर्शन किये और श्री बाला जी सत्यधाम का लोकापर्ण भी किया, जिसका शिलापट्ट भी स्थापित किया गया है। इस अवसर पर श्री बाला जी सत्यधाम के पीठाधीश्वर प्रेमजी महाराज उर्फ हृदय नारायण चतुर्वेदी ने डाॅक्टर बुद्ध रश्मि मणि व उनकी पत्नी डाॅ. सुषमा का स्वागत अभिनंदन करते हुए उन्हें अंग वस्त्र प्रदान किया।

इस अवसर पर अपने स्वागत अभिनन्दन से अभिभूत डाॅक्टर बुद्ध रश्मि मणि ने श्री बाला जी सत्यधाम की बेहतरी के लिए हरसम्भव सहयोग करने का आश्वासन दिया। स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार इस क्षेत्र को तीर्थ घोषित कराना उनकी प्राथमिकता में है। 

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