हवलेश पटेल, खतौली। श्री नगंली धाम सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित दिव्य आनंद उत्सव में विद्वान वक्ताओं ने अपनी सरल भाषा में अपने मन रूपी तख्ती से पहले उस पर लिखी बातों को मिटाने का संदेश देते हुए एक फिर सदियों पहले ट्टषि अष्टावर्क द्धारा राजर्षि जनक को दिये गये साकेंतिक सूत्र वाक्य को चरितार्थ कर दिया, जिसमें ट्टषि अष्टावर्क राजा जनक को ज्ञान का विस्मरण करने का मंत्र दिया था, लेकिन विद्वान राजर्षि जनक को उस समय उसका अर्थ समझ नहीं आया था। श्री नगंली धाम से जुड़े संतों ने अपने वक्तव्य में कहा कि मनुष्य पहले अपने मन रूपी तख्ती से उस पर पहले से लिखी बाते मिटाकर ही सद्गुरू की वाणी को आत्मसात् कर सकेंगे।
स्थानीय एक बैंकटहाॅल में आयाजित दिव्य आनंद उत्सव में श्री नगंली धाम निवासी भगवान् के मानने वाले संतों ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब हम मन से मान लेंगे की सद्गुरू ही मेरे भगवान् हैं, तो मन से सारी शंकाएं मिट जायेंगी और दिव्य आनंद प्राप्त होने लगेगा। संतों ने कहा कि श्रद्धालु अपने पांच इंद्रियों को संतुष्ट करने के लिए अक्सर वही सुनते हैं, जो वो सुनना चाहते हैं, वह नहीं सुनते जिन्हें संत विद्वान सुनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस भी फकीर या विद्वान की शरण में आप गये हैं, अगर वह सब गलियां समाप्त कर दे तो वही नंगली भगवान् हैं। उन्होंने जन्मजन्मांतर को गलियां (वासना) बताया।
उन्होंने कहा कि यदि यहां सत्संग में आकर यदि ज्ञानरूपी कुछ प्रसाद ग्रहण किया है तो यहां आने का फायदा है। उन्होंने कहा कि जो हमें आंखों से दिखायी नहीं दे रहा है, उसे हम ढ़ूंढ़ते है कि वह क्या है? उन्होंने बताया कि उस परमतत्व को जानने के लिए सद्गुरू की शरण में जाना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा आज पांच विषयों में इंसान गुम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति से बचने के लिए सद्गुरू की जरूरत है।
दिव्य आनंद उत्सव की अध्यक्षता ब्रह्मानंद ने अध्यक्षता व संचालन स्वामी अभेदयोगानन्द ने किया। इस अवसर पर स्वामी ध्यान प्रेमानंद, स्वामी अभेदयोगानन्द, स्वामी विज्ञान प्रेमानन्द, स्वामी गुरूशरणानन्द, स्वामी दिव्यानन्द, स्वामी अभेदानन्द, सत्यार्थी के स्वामी माधवानन्द, लुधियाना से स्वामी प्रेमज्ञानानन्द, दिल्ली से स्वामी अलखनिरंजन, मुजफ्फरनगर से विश्वासपुरी, शिवपुरी, महंतपुरी, सर्वानंदपुरी, मेरठ से निरंतरपुरी, सतगुरूनगर से सारशब्द मिशन से आधारशर्मानंद, अगमशर्मा नंद, साराभोलानन्दआदि संतों ने मंचासीन होकर ज्ञान की गंगा बहायी।
इससे पूर्व पावन आरती के साथ आरम्भ हुए दिव्य आनंद उत्सव में भजन एवं सत्संग के द्वारा संतों ने वहां मौजूद श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में मुजफ्फरनगर से सेवादार मुलखराज तागरा, अनिल धमीजा, राजकिशन बाटला, गुरुदत्त अरोरा, नरेश मुन्दन, डाॅ. धर्मेन्द्र, सुरेश ग्रोवर, संतलाल, गुलशन, लेखराज तागरा, डाॅ.केजी सांवलिया, खतौली से सूरजप्रकाश, देवेन्द्र नारंग, सुभाष, कुशाग्र ग्रोवर, भोला, मदन छाबड़ा, अशोक अरोरा, सचिन नारंग व गुरुदत्त अरोड़ा आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
कार्यक्रम का समापन श्री नंगली दरबार साहिब के संगीतमय भजन के साथ श्रद्धालुओं द्वारा भावविभोर होकर नृत्य करने के साथ हुआ। इस अवसर पर श्रद्धालुओं व संतों पर पुष्प वर्षा भी की गई।