फकीरटिला शिव मंदिर से हुआ हिंदी माह का श्रीगणेश

मदन सिंघल, सिलचर। हिंदीभाषी समन्वय मंच शिलचर के तत्वावधान में फकीरटिला शिवमन्दिर सम्मेलन कक्ष में मंच के अध्यक्ष बैकुण्ठ ग्वाला के अध्यक्षता में शुक्रवार को अपरान्ह 4 बजे हिन्दी माह का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप  में पंडित आनन्द शास्त्री, मंच के महासचिव दिलीप कुमार, मंच के उपाध्यक्ष राम सिंहासन चौहान, समाजसेवी राजेन्द्र पाण्डेय, डा. उमा नुनिया, डॉ रीता सिंह मंचासीन थे। 

अपने प्रस्ताविक संबोधन में मंच के महासचिव दिलीप कुमार ने कहा कि 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकृति मिली, इसलिए पूरे देश में 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। सितम्बर महीने में कोई सप्ताह मनाता है, कोई पखवाड़ा मनाता है,  कोई हिन्दी माह मनाता है।  जो हिन्दी माह होता है, वह एक से 30 सितम्बर तक मनाया जाता है, इसलिए हम लोगों ने अगले 1 अक्टूबर को एनआईटी संलग्न मधुबन में समापन समारोह करने का निश्चय किया है। कहां तो जाता है बराकघाटी हिन्दी भाषी अंचल है, पर यहां हिन्दी नगण्य स्थिति में है, हर जगह यहां दुसरी भाषा का बाहुल्य है। सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी छाई हुई है, बाहर में बांग्ला का प्रयोग होता है। ऐसे में जो हमारी राष्ट्रभाषा है व सौभाग्य से हमारी मातृभाषा है,  उसका मान सम्मान बरकरार रहे, इसे देखते हुए शिलचर नगर में हम लोगों ने 1997 में पहली बार हिन्दी दिवस मनाया, तबसे आज तक निरन्तर हिन्दी के लिए हम सभी समर्पित है। इसवर्ष 24 वां हिन्दी दिवस समारोह आयोजित कर रहे है, अगले साल रजत जयंती मनाया जायेगा।  कुछ लोगों के मन में आज भी संशय बना हुआ है,  हिन्दी राष्ट्रभाषा नही है, तो उन्हें बता देना चाहता हूं कि राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,  वर्धा हो या असम सब हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा का प्रचार करते आ रहे हैं। अभी तो सुप्रीम कोर्ट भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दे दिया है,  उन्होंने कहा कि अगर हम बराकघाटी से बाहर जाते हैं तो हमें हिन्दी ही बेड़ा पार लगाती है, पूरे पूर्वोत्तर में इतनी भाषा है कि लोग एक दूसरे की भाषा नही जानते हैं, हिन्दी का ही प्रयोग करते है, हिन्दी ही एकमात्र ऐसी सरल भाषा है कि एक दूसरे को जोड़ी है। 
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि आनन्द शास्त्री ने कहा कि अन्तरार्ष्ट्रीय जगत में भी यह माना जा चुका है जो चार लाख वर्ष पहले से ही हिन्दी की प्रचलन रहा है, चाहे वेदों के माध्यम से हो या चित्र भाषियों के माध्यम से हो, उन्होंने कहा कि मन्दारी चीनी भाषा है जो हिन्दी की उपभाषा है, आदि मानवों द्वारा चित्रित लेख में हिन्दी का वर्णन आता है,  उन्होंने कहा कि चित्र भाषा ही कायान्तरण में हिन्दी के रूप जाना जाता है, शास्त्रीजी ने लम्बे भाषण में हिन्दी का महिमा मंडन किया। उन्होंने समिति को कई सुझाव परामर्श भी दिये। इससे पूर्व समन्वय मंच के अध्यक्ष बैकुण्ठ ग्वाला ने अपने स्वागत भाषण में हिन्दी माह पर होनेवाले कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत किया। 
कार्यक्रम में शिव मन्दिर संचालन समिति के अध्यक्ष पृथ्वीराज ग्वाला, भोराखाई गाव पंचायत के पूर्व सभापति मनोज कुमार जायसवाल, हिन्दीभाषी समन्वय मंच से राजेन कुंवर, प्रमोद शाह, राम नारायण नुनिया, गणेश लाल छत्री, श्याम सुन्दर रविदास, हिन्दीभाषी महिला मंच की सभानेत्री डा. रीता सिंह यादव,  प्रेरणा भारती के सम्पादक  सीमा कुमार,  नीलम गोस्वामी , श्सतपा शास्त्री, मेघनारायण नुनिया,  जय प्रकाश गुप्ता, रत्नेश अग्रहरि, मयंक शेखर, सुदामा रविदास, अनंत लाल कुर्मी, मदन ग्वाला,  उमा नुनिया,   बेबी कुर्मी, प्रभु नाथ सोनार, राधा किशुन प्रजापति,  राजु कुर्मी, पत्रकार जवाहर लाल पाण्डेय, शिव कुमार, रीतेश नुनिया, रामनाथ नुनिया, यशवन्त पाण्डेय, दयाराम नुनिया, अनीता कुर्मी, सुदामा रविदास प्रमुख उपस्थित थे। 
 कुमारी अभिनन्दिता कुमार के सुमधुर संचालन में  पूरोहित राजेन्द्र पाण्डेय, डा. रीता सिंह यादव, श्री पृथ्वीराज ग्वाला , मनोज कुमार जयसवाल, श्याम सुन्दर यादव व अभियंता मयंक शेखर ने हिन्दी को लेकर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किया , इस अवसर पर तरुण समाजसेवी राजेन कुंवर, सुकुमार सोनार ने कविता पाठ किया, कलाकार मैना लाल गोड़ व शिव कुमार ने भजन प्रस्तुत किया, ज्योति कुर्मी ने गीत प्रस्तुत कर सभी का मंत्रमुग्ध किया। राजरानी जायसवाल ने कविता प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन  अभिनन्दिता कुमार ने किया। अंत में असम विश्वविद्यालय के हिन्दी अनुवादक पृथ्वीराज ग्वाला ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहां सम्पूर्ण देश में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का मान सम्मान दिलाने में आजादी से पहले महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस जैसे अहिन्दी भाषियों का काफी योगदान रहा।
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