सितम्बर का आगमन होते ही सजने लगी राष्ट्र भाषा हिंदी की दुकानें
मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
देश जब आजाद हुआ तो एक राष्ट्र भाषा भी होनी आवश्यक थीं, इसलिए सरकार ने संपूर्ण देश की एक राष्ट्र भाषा हिंदी बनाने के लिए प्रयास किया लेकिन भारत विभिन्न भाषाओं वाला देश होने के कारण हिंदी को बना तो दिया लेकिन मान्यता नहीं दे पाये। आजादी के 75 साल बाद भी संपूर्ण देश की राष्ट्र भाषा हिंदी बनाने के लिए यदाकदा प्रयास किया गया, लेकिन हिंदीतर प्रदेशों में विरोध के स्वर उठने शुरू हो गये। सरकार ने राजभाषा विभाग बनाया, लेकिन उसमें विनम्रता पुर्लक हिंदी को प्रोत्साहन देने के कारण सिर्फ खानापूर्ति आज भी हिंदीतर प्रदेशों में हो रही है। इसका कारण सपष्ट है कि इसमें हिंदी सीखने के लिए सिर्फ निवेदन है सिर्फ प्रोन्नति के लिए आवश्यक है, लेकिन सख्त निर्देश अथवा दंडात्मक कार्यवाही ना होने के कारण लिपापोती की जाती है। सरकार द्वारा आवंटित राशि को केंद्रीय विभाग जैसे तैसे खर्च करके ग्रहमन्त्रालय को रिपोर्ट भेज देते हैं‌। देश के ग्रहमंत्री हर साल राष्ट्र के सामने हिंदी का गुणगान करने के साथ साथ देश के लोगों को अधिकाधिक प्रयोग के लिए आग्रह जरूर करते हैं, लेकिन आज तक किसी ग्रहमंत्री ने नहीं कहा कि हम हिंदी को पूर्ण मान्यता देंगे। 
हिंदी का प्रचार प्रसार हिंदी फिल्मों से देश विदेश में होता रहा, लेकिन हिंदी को विश्व पटल पर लाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। मजे की बात यह भी है कि संसद में पुर्व पश्चिम दक्षिण के सभी सांसद हिंदी बोलने लगे। संसद में अंग्रेजी का वर्चस्व लगभग खत्म हो गया। संसद में कोई भी सांसद अपनी मातृभाषा में बोलना चाहे तो अनुमति है लेकिन धीरे धीरे सभी हिंदी बोलने लगे। 
सितम्बर मास शुरू होते ही हिंदी भाषी संगठनों के लोग सतर्कता के साथ-साथ अपनी-अपनी दुकानों को सजाने संवारने लगे, लेकिन सालभर हिंदी का नाम नहीं लेते, हां हिंदी से संबंधित कार्यक्रम करके अखबारों में फोटो भेज कर शुर्खियों में रहते हैं। खैर जो भी हो हिंदी को इससे बढावा तो अवश्य ही मिलता है। हिंदी दिवस को सालाना त्योहार के रूप में मनाया जाता है। दानदाताओं को मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि बनाने तथा सम्मानित करते हैं, जबकि वास्तव हिंदी के विद्वानों को आमंत्रित तक नहीं किया जाता। 
भारत माता के मस्तक पर रक्त वर्ण सी बिंदी है
कल कल छलछल बहती नदियाँ सबकी वाणी हिंदी है
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर असम
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