सीओ नीरज सिंह को हाईकोर्ट ने दी गिरफ्तारी से राहत

शि.वा.ब्यूरो, सहारनपुर। इलाहबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बैंच ने सहारनपुर, नकुड के सीओ नीरज सिंह को गिरफ्तारी से तीन हफ्ते की राहत दी है। इस दौरान वह विवेचना में पूरा सहयोग करेंगे। भ्रष्टचार निवारण संगठन सहारनपुर और मेरठ की संयुक्त टीम ने 11 अगस्त को सीओ नीरज सिंह के पेशकार हरपाल सिंह को थाना सरसावा के गांव अहमदपुर निवासी महेश सैनी से 50 हजार रूपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण थाने के प्रभारी सुभाष सिंह ने आरोपी हरपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिर्पोट दर्ज कराई थी। 

आरोप था कि एससीएसटी के एक मुकदमें को खत्म कराने के लिए पेशकार हरपाल ने महेश सैनी से 80 हजार रूपए की मांग की थी, लेकिन सहारनपुर पुलिस लाइन मेन गेट के पास एनटी क्रप्शन विभाग की टीम ने जाल बिछाकर पेशकार को महेश कुमार से 50 हजार रूपए लेते हुए गिरफ्तार कर लिया था। इसी मामले में भ्रष्टाचार निवारण संगठन की ओर से सीओ नीरज सिंह का नाम हरपाल के ब्यान के आधार पर एफआईआर में बढवा दिया गया था। पूछताछ में हरपाल ने कहा था कि वह सीओ के निर्देशानुसार मामले की जांच कर रहे थे और उन्हीं के कहने पर उसने पैसे मांगे थे। सीओ नीरज सिंह दो साल से सहारनपुर जिले में तैनात थे। 

सीओ नीरज सिंह ने इलाहबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका 131719/2023 लगाई है। उनकी याचिका की सुनवाई जज अंजिनी कुमार मिश्रा और विवेक कुमार सिंह ने की। याचिका में नीरज कुमार की ओर से मांग की गई कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द की जाए। उनके खिलाफ 11 अगस्त 2023 को अपराध संख्या 353/2023 धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 थाना सदर बाजार सहारनपुर में दर्ज किया गया। नीरज कुमार की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ अवैध परितोषण की मांग का कोई आरोप नहीं है, इसलिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत याचिकाकर्ता का निहितार्थ गलत है। न्यायालय ने तीन सप्ताह के लिए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई है। इसके बाद हाईकोर्ट की बीट मामले पर विचार करेंगी। इस दौरान सभी पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं। अगली सुनवाई होने तक याचिकाकर्ता को विवादित एफआईआर के परिणाम स्वरूप गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। यदि तफ्तीशकर्ता इस दौरान कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर देते है तो गिरफ्तार न किए जाने की शर्त लागू नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि नीरज सिंह को यह राहत अगली सूची तक या सीआरसीपी की धारा 173(2) के तहत पुलिस रिर्पोेट प्रस्तुत करने तक जो भी पहले हो, उपलब्ध होगी। याचिकाकर्ता जांच में पूरा सहयोग करेंगे वरना वह इस आदेश के लाभ के अधिकारी नहीं होंगे।  

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