विस्तारवादी एवं दुर्नीति के कारण चीन का पतन नजदीक
मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मनुष्य पेट पालने के लिए ना जाने क्या क्या करता है? लेकिन यदि पुरषार्थ से कुछ भविष्य के लिए संग्रह करता है तो जायज है जो आने वाली पीढ़ी भी याद करेगी दोनों पति पत्नी का बुढापा आसानी से बिना परेशानी से कट सकता है। लेकिन अनैतिकता से कमाया गया धन एवं किसी को धोखे में देकर अथवा लालच में आकर संग्रह किया गया धन संपत्ति नाम यश जो भी हो। वो जीते जी अथवा ना रहने के बाद अवश्य दुध का दुध ओर पानी का पानी कर देगा। अपने भाई कुटंब रिश्तेदार अथवा पङोसी की जमीन हङपने से उनकी आत्मा से निकली बददआ भले ही देर से, लेकिन एक दिन सत्यानाश अवश्य करेगी। चाहे आपका अथवा बचे हुए लोगों का। 
हम सब जानते हैं कि पाकिस्तान की इस दुर्दशा का कारण क्या है? क्यों भूखमरी के बाद बगावत उसके बाद चार टूकड़े होने की नौबत आ गयी। एक टूकङा 1971 में भी हुआ था लेकिन बाज नहीं आया अपने कुकर्मो से। जनता त्राहि त्राहि कर रही हैं जो अगले साल तक अंतिम परिणाम भी दुनिया के सामने आ जायेगा। इसी तरह चीन सर्वाधिक संपन्न एवं शक्तिशाली देश होने के बावजूद कोविद जैसा अत्याचार दुनिया में फैलाकर तथा विस्तारवादी नीति के कारण अनेक देशों में अफरातफरी मचाकर देश को भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। अब वो दिन दूर नहीं कि अनैतिकता के नाम पर राज करने वाले चीन की दुर्दशा पाकिस्तान से भी अधिक बदहाल होगी। 
सात सौ करोड़ की पृथ्वी पर अनेक देश है जो अपनी मान मर्यादा सिद्धांत एवं अन्य रास्तों से अपने देश का विकास कर रहे भले भोगोलिक राजनीतिक एवं आर्थिक दृष्टि से आकार प्रकार में छोटे हो। इसी तरह समाज में भी ऐसे लोग है जो धंधा बाजी करते हैं वो अपने आप को भले ही चतुर सुजान समझते हैं लेकिन ऐसे लोगों को भलिभांति लोग समझते हैं। 
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर असम
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