राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डा.बुद्धरश्मि मणि गोरखपुर स्थित श्री सत्यबाला जी संकटमोचन धाम में 11 अक्टूबर को

शि.वा.ब्यूरो, गोरखपुर। राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के महानिदेशक एवं भारतीय विरासत संस्थान नोएडा के कुलपति डा.बुद्धरश्मि मणि ने उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर स्थित श्री सत्यबाला जी संकटमोचन धाम के पीठाधीश्वर प्रेमजी महाराज उर्फ हृदयनारायण चतुर्वेदी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि वे 10 अक्टूबर 2023 को दिल्ली से इंडिगा फ्लाइट से अपराहन में गोरखपुर स्थित गीता वाटिका पहुंचेंगे। उन्होंने पत्र में इच्छा व्यक्त की है कि वे 11 अक्टूबर को सपत्नीक श्री सत्यबाला जी संकटमोचन धाम के दर्शन करना चाहते हैं। उन्होंने प्रेमजी महाराज को अवगत कराया है कि 12 अक्टूबर को वे दिल्ली वापिस लौट जायेंगे। 

बता दें कि डा.बुद्धरश्मि मणि बनारस हिन्दू विश्विद्यालय के स्नातक हैं। उन्होंने कुषाण पर अपनी पीएचडी की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी के तौर पर डॉ. बुद्ध रश्मि मणि ने 2003 में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल की खुदाई करने वाली टीम का नेतृत्व किया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की उत्खनन रिपोर्ट अयोध्या में राम मंदिर निर्माण संबधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मुख्य आधार बनी थी और इस रिपोर्ट को अंत तक कोई चुनौती नहीं दे पाया था। भारतीय पुरातत्व विभाग ने खोदाई में मिले मंदिर के भग्नावशेषों की सही उम्र कार्बन डेटिंग पद्धति से निकालकर कोर्ट को बताई थी। देश के प्रमुख पुरातत्वविद् व राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. बुद्ध रश्मि मणि के नेतृत्व में 50 दिग्गज वैज्ञानिकों की टीम ने हाई कोर्ट के निर्देश पर छह माह की खुदाई के बाद रिपोर्ट सौंपी थी। फैसले पर खुशी जताते हुए डॉ. मणि की पहली प्रतिक्रिया थी कि हमारी मेहनत रंग लाई। सुप्रीम कोर्ट ने जिस वक्त यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया, तब डॉ. मणि त्रिवेंद्रम प्रवास पर थे।

फैसला आने के बाद डॉ. मणि ने बताया था कि छह महीने तक पूरी टीम ने कठिन परिश्रम किया। मेरे सहयोगी डॉ. भुवन विक्रम और अन्य वैज्ञानिकों ने तो कई रातों का जागरण किया। हमें गर्व है कि हमारे उत्खनन कार्य की गुणवत्ता, रिपोर्ट की तार्किकता और विश्वसनीयता साबित हुई। उन्होंने प्रमाणित किया था कि खोदाई में जमीन के भीतर 1200 ईसा पूर्व के तीन मंदिरों के अवशेष मिले थे। ये मंदिर 10वीं, 11वीं एवं 12वीं शताब्दी के थे। 

बता दें कि 5 जून 2018 को श्री सत्यबाला जी संकटमोचन धाम के पीठाधीश्वर प्रेमजी महाराज को सपने में बालाजी सरकार ने दर्शन दिये थे, जिसमें उन्होंने अयोध्या में राममन्दिर बनने का संकेत दिया था। प्रेमजी महाराज महाराज ने इसे बालाजी का आदेश मानकर धर्मयात्राएं भी की थी, जिसके तहत राममन्दिर निर्माण की अर्जी लगाने के लिए वे सितम्बर 2018 में सालासर बालाजी, मेहन्दीपुर बालाजी, शुक्रताल व पुष्कर स्थित ब्रह्माजी के मन्दिर गये थे। इस दौरान उन्होंने राममन्दिर बनने के लिए संकल्प दोहराते हुए सभी देवों से प्रार्थना की थी।  पुष्कर स्थित ब्रह्माजी के मन्दिर प्रदक्षणा के बाद मन्दिर के महंत प्रज्ञानपुरी ने उन्हेें संकल्प की पूर्ति का आर्शिवाद प्रदान करते हुए अंगवस्त्र व तीन नारियल भेट किये थे। इसके बाद प्रेमजी महाराज ने घोषणा कर दी थी कि अब राममन्दिर को बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती है। इसी दौरान उनकी डा.बुद्धरश्मि मणि से मुलाकात भी हुई थी। इससे पूर्व उन्होंने जनपद मुजफ्फरनगर स्थित ऐतिहासिक शुक्रताल में नक्षत्र वाटिका व कल्पवृक्ष की परिक्रमा करके राममन्दिर बनने के संकल्प को मंत्रस्वरूप दोहराया था। इस दौरान उन्होंने युगपुरूष स्वामी कल्याणदेव के उत्तराधिकारी स्वामी ओमानन्द से भेटकर उन्हें अपने संकल्प से अवगत कराया था।

श्री सत्यबाला जी संकटमोचन धाम के पीठाधीश्वर प्रेमजी महाराज ने राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के महानिदेशक एवं भारतीय विरासत संस्थान नोएडा के कुलपति डा.बुद्धरश्मि मणि के पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि श्रीबाला जी सत्यधाम में डा.बुद्धरश्मि मणि का स्वागत है। उन्होंने डा.बुद्धरश्मि मणि के सुखद भविष्य की कामना भी की है।

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