इधर की उधर

मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
इधर की उधर
कमबख्त इस
उम्र में तो ना कर
दिखा देंगे औकात
मिलेगी ऐसी सौगात
सह ना पायेगा
जब खबर लेगी
मित्रों की जमात
इंसान से नहीं डरता
लेकिन भगवान् से तो
डर
कमबख्त इस उम्र में
मत कर इधर की उधर
जीवन पाया इंसान का
तो कुछ तो भला कर
क्यों भटकता घर घर
निज घर में आराम कर
काटते देंगे तेरे पर
कर ना सकेगा फर्र फर्र
मत कर इधर उधर
ईश्वर का तु ध्यान धर
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर असम

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