मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
रिश्ते धुंधले अथवा पवित्र होते हैं
निभाना उचित वरना बोझ होते हैं
लोग कहते हैं नाजायज औलाद
औलाद नहीं मां बाप होते हैं
कब तक रिश्तों की आङ में
पाप पुण्य का दोगे हिसाब
जब तक ना हो बेनकाब
रिश्ते तो रिश्ते ही होते हैं
रिश्तों की समीक्षा कब हुई
जब तार तार इंसानियत हुईं
वैसा ही फल मिलता है उन्हें
जैसा वो बीज बोते है
*नाजायज माँ बाप होते हैं*
राखी बंधवाकर भगा ले जाता
दुल्हन बनाकर घर में लाता
तोड़ के रिश्तों की जंजीर
ऐसे रिश्ते क्या कहलाते हैं
नाजायज माँ बाप होते हैं*
रिश्ता इंसानियत के होते है
लगभग वो, निस्वार्थ होते है
कटा लेता है गर्दन गैरों के लिए
वो कलियुग में भगवान् होते है
नाजायज माँ बाप होते हैं
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर, असम