आयी ऋतु मनभावन
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
आयी ऋतु मनभावन 
सुखी खेत - खलिहान 
रिमझिम पड़े फुहारें 
कृषक फसल निहारें
मिट्टी की सौंधी महक 
खगों की मधुरिम चहक
वसुधा ने ओढ़ा लिबास 
पूर्ण हो गई अधूरी आस
मंद-मंद पुरवाई मुस्काती
चहुंओर हरियाली आती 
दादुर-झींगुर रात-रातभर गाते
घन गरज-गरज जल बरसाते
आयी ऋतु मनभावन
दिन-रात बरसता सावन
जहां जाये दृष्टि वहीं जल
सबका स्वर्णिम होगा कल
गांव रिहावली, डाक घर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश
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