भीतर
राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मुझे कविता में
नया दौर सीखना है।
मुझे मोहब्बत में
अभी ओर सीखना है।
चिलमलाहट सी होती है
भीतर ही भीतर
नए शब्दों ो सीख कर
मुझे नए भावों ा आयाम
अभी ओर सीखना है।
दबी हुई बातें हैं ुछ भीतर
जो दबा देती है
सदैव ही अस्मिता ो मेरी
निालकर उनको बाहर
अभी नया जहान जीना
अभी ओर सीखना है।
राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गाहलिया (कांगड़ा) हिमाचल प्रदेश
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