अक्सर जिंदगी
प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
अक्सर जिंदगी छीन लेती है उन हौंसले के पंख।
जो उड़ना चाहते हैं आसमान की उंचाई पर।
मापना चाहते हैं क्षितिज के पार 
क्या पता हो कोई अनुपम संसार।

अक्सर जिंदगी छीन लेती है उन  पैरों को।
जो नाचना चाहते थे जीवन की ताल पर।
थिरकते थे जिंदगी के हर नये ख्याल पर।।
लेकिन टूट कर रह गये अपनी ही ताल पर।

अक्सर जिंदगी छीन लेती है उन सपनों को।
जो जिंदगी ने खुलीं आंखों में सजायें।
लेकिन सपनों की हकीकत के हिस्से सिर्फ,
इन्तज़ार के  बंद दरवाज़े ही आयें।।

अक्सर जिंदगी छीन लेती है उन अपनों को।
जो जिंदगी के हर अहसास में हो समायें।
लेकिन जिंदगी की हर वजह में,
बजूद न बन पायें।
जिंदगी को मार दे और मिटा भी न पायें।।
अक्सर जिंदगी छीन लेती हैं प्यार को।
प्यार के हिस्सें में सिर्फ भटकाव आयें।
जब मिला भी तो साथ रह न पायें।
नफरतों ने उम्र भर के रिश्ते निभायें।
नालागढ़, हिमाचल प्रदेश

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