समाज में अपराधी नही चाहिए, लेकिन ये काम पुलिस या न्यायालय करे, इसीलिए टैक्स भरता हूं

धर्मेन्द्र यादव राजा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

सुना है एक गैंगस्टर ठोक दिया गया है, न्याय पालिका के हाथों में, कार्यपालिका की हथकड़ियों में, पत्रकारिता के भेष में आए लोगों द्वारा। जश्न मनाइए, कब्र बनाइए गैंगस्टर की, उसके साथी की और उसके बगल में एक और कब्र बनाना न्याय विधान, न्यायपालिका की और समाज में निडरता से जीने की सोच की भी एक कब्र बनाइए, क्योंकि ये हत्या पुलिस, जज या सिस्टम ने नही, बल्कि किसी बदमाश ने ही की है सोचिए! यूपी में बदमाश कितने निडर हैं, अब क्या इनसे जनता को डर नही लगेगा ?

जब एक हत्यारे को मारा जाता है, तब दुनियां में हत्यारों की संख्या कम नहीं होती, क्योंकि उसकी जगह अब उसे मारने वाले ने ले ली है। समाज में अब भी उतने ही हत्यारे हैं, उसका काम अब कोई और करने लगेगा। अब ये सुपारी लेगा, धमकी देगा, जमीनें कब्जा करेगा, भय व्याप्त करेगा। मठाधीश बदला है, मठ और मठ का सिस्टम वही रहेगा। मुंबई में अक्सर ऐसी गैंगवार होती रहती हैं, एक गैंग के हेड को मार कर उसके एरिया में अब नया गैंग धंधा करने लगता था। इसीलिए दुनियां में जस्टिस सिस्टम बना था, क्योंकि जस्टिस सिस्टम एक नया हत्यारा नही बनाता। वो समाज से अपराध या अपराधी कम करता है। वह अपराधियों को जेल में डाल कर सुधारने का मौका देता है। कोई नही सुधार सकता तो सजा ए मौत देता है, लेकिन उसके लिए भी एक नया हत्यारा नही बनाता, बल्कि पुराने चिन्हित जल्लाद से ही फांसी दिलवाता है, ताकि समाज में अपराध कम हो और सत्ता समर्थन से कोई खुद को नया डॉन ना समझने लगे।
मुझे और आम जनता को भी समाज में अपराधी नही चाहिए, लेकिन ये काम पुलिस करे, न्यायालय इसका न्याय करे, इसीलिए टैक्स भरता हूं। मैं नही चाहता की एक बदमाश को दूसरे बदमाश का गुर्गा कैमरा के सामने गोली मार कर अपना हिसाब बराबर करे। कल ये दूसरा वाला भी जमीन कब्जा करने लगेगा। ये तो पहले वाले से ज्यादा ताकतवर मालूम होता है, ये तो पुलिस गिरफ्त में भी मार सकता है, पुलिस इसके आगे तो बेबस लाचार दिख रही है, ये तो सिस्टम से ऊपर मालूम होता है।
खैर! पिछले साल इन्हीं दिनों, प्रयागराज के ही एक गांव में, एक ही परिवार के पांच लोगों की ईंट से कुचल के बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। STF जांच करने गई थी, किसी का इनकाउंटर या सजा ए मौत हुई हो तो बताना। प्रयागराज मे पिछले 7 सालो मे एक दर्जन से ज्यादा सामुहिक हत्याकांड हुए, कितनों का इनकाउन्टर हुआ बताना।
लेखक समाजवादी पार्टी लोहियावाहिनी के राष्ट्रीय सचिव हैं

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