आगर चालीसा

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

लाखुंदर पूरब बहे, दक्खन कालीसिंध।
आऊ पश्चिम में बहे, बीच बाण जय हिंद।।
चार द्वार का कोट है, शोभा बरणि न जाय।
मंगलमय सब जीव हैं, बैजानाथ सहाय।।
मालव अंचल है सुखदाई।
आवे बाढ़ न पड़े सुखाई ।।1
पीहर पार्वती कहलाता।
भूमि उपजे मन हरषाता।।2
ज्वालामुखी अग्नि से लावा।
रक्ता माटी काली पावा।।3
मध्यदेश की थी रजधानी।
बीस बरस फिर वही कहानी।।4 
सुआ नगर सुसनेर कहाता।
खेड़ा नल में बगला माता।।5
कानड़ बड़उद बीजा नगरी।
सोयत बसते बाला जबरी।।6
 जय जय प्यारी आगर माता।
तुम्हरा जस मैं निशिदिन गाता।।7
पौथी में आकर बतलाया।
तद्भव से आगर कहलाया।।8
नाम अगरिया मामा भीला।
लाल लंगोटी कुर्ता पीला।।9
सादा जीवन उच्च विचारा।
कंद मूल का करे अहारा ।।10
जिनने आगर नगर बसाया।
दशम सदी इतिहास बताया।।11
चूना कांकर पीली माटी ।
लाल मुरम सीमेंट जुडाती।।12
नगरकोट करता रखवाली।
चार द्वार दो खिड़की आली।।13
सन अट्ठारह चुम्मालीसा।
फौज फिरंगी कीन प्रवेशा।। 14
रत्ना सागर उत्तर द्वारा ।
पीछे लश्कर डेरा डारा।।15
नगरमध्य था सरकरवाड़ा।
जहां से राज चला अगारा।।16
सन उन्नी सौ पांचा आई।
मंडल से तहसील बनाई।।17
एक सौ पांच गांव मिलाई।
आमद सहस सत्तावन पाई।।18
औसत वर्षा बत्तिस इंचा।
मूंग मका अरु ज्वार खरीफा।।19
मूंगफली सूरज दल खासा।
तूवर तिल्ली रई कपासा।।20
अब तो सब सोया उपजावे।
रबी चना गेहूं लहरावे़ ।। 21
फसल रायड़ा भी मन भाता।
जो ऊंचे अब दाम दिलाता।।22
संतर अमरुद बाग लगाये।
कछाल लखमी बांध बनाये।।23
टिलर मोती अटल सरोवर।
कुंडलिया है जिला धरोहर।।24
आगर उत्तर भेंटा ग्रामा।
बैजनाथ मंदिर शिव धामा।25
गोपल मंदिर बीच बजारा।
दर्शन करते भगत हजारा।।26
भेरु केवड़ सबके स्वामी।
बरडा बसती तुला भवानी।।27
अचलेश्वर है मोती तीरा।
चिंता हरण हरे सब पीरा।।28
मस्जिद गिरिजा घर भी प्यारे ।
लंगर चलते गुरु के द्वारे।।29
शंकर कुंडी माता काली।
जैना आलय छवि निराली।।30
गांधी उपवन नगर सुहाता।
फूलों की खुशबू बरसाता।।31
कॉलेज अरु कोठी दरबारा।
जिसमें बच्चे पढ़ें हजारा ।।32
सीएम राइज  तीन बनाये।
जो शिक्षा का अलख जगाये।।33
अमृत नीरा मोती प्यारा।
पानी पीवे जीव अपारा।।34
बंजारे ने भोग चढाई ।
बेटा लछमण राजनबाई।। 35
सन बत्तीसा रेल चलाई।
बैजनाथ महकाल मिलाई।।36
सन पिचहत्तर लगा अपाता।
गई रेल रोई सब माता।।37
साहित रचते  दत्त गणेशा।
आगर का इतिहास विशेषा।।38
कल्लू खूबा गवली भाई।
सुभाष साथ में लड़ी लड़ाई‌।। 39
सोलह आठा तेरह आया।
आगरको फिर जिला बनाया।।40
सोंधवडी अरु मालवी,बोली बोलें लोग।
दाल बाटी अरु चूरमा, लागे भेरू भोग।।
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश 

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