गौरव सिंघल, नागल। यज्ञ व भंडारे के साथ चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का विधिवत समापन किया गया। यज्ञ एवं भंडारे से पूर्व प्रवचन करते हुए आचार्य मनोज शास्त्री ने कहा कि अनेक यात्रा एवं अनेक योनियों में घूमने के पश्चात जब मानव जीवन मिलता है तो मनुष्य को चाहिए कि वें उसका सदुपयोग करें। जो लोग इस जीवन में अच्छे कर्म करते हैं उन्हें शुभ गति मिलती है, परंतु जो लोग इस जन को गलत तरीके से व्यतीत करते हैं, अपराध करते हैं, दूसरों को सताते हैं ऐसे लोगों का जीवन नर्क हो जाता है। वह भले ही लाख प्रयास कर ले लेकिन उनकी संताने भी उन्हें दुख ही पहुंचाती हैं। मां यशोदा की श्रीकृष्ण से ममता तथा मां शबरी का भगवान राम से निश्चल प्रेम की जब उन्होंने विस्तार से व्याख्या की तो श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई।
उन्होंने कहा कि मां की ममता का कोई मौल नहीं वह अनमोल है।श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश देते हुए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मनुष्य को हमेशा कर्म करने में तत्पर रहना चाहिए, साथ ही उस कर्म के फल को हरि इच्छा पर छोड़ देना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि फल मैं स्वयं दूंगा। संसार में जिस किसी ने भी जीवन पाया है भले ही पत्थर के अंदर का कीड़ा हो मैं उसके लिए वहीं उसके भोजन का इंतजाम करता हूं। प्रवचन के बाद यज्ञ संपन्न कर भंडारे का आयोजन किया गया। इस दौरान साध्वी प्रकाश पुरी, अनिता बहन, लक्ष्मीचंद भगत जी, श्रीपाल धीमान, पंकज कुमार, अमर सिंह, गोविंद नामदेव, कार्तिक नामदेव, अंकित नामदेव, संजीव कुमार, ज्ञानचंद, रोहित कुमार, विजय कुमार, बिरला, सुदेश कुमारी, संगीता, संयोगिता, राजेश कुमार आदि रहे।