असमिया काव्य ऋषि नीलमणि फुकन नहीं रहे

डॉ अवधेश कुमार "अवध", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित और प्रख्यात असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन का आज गुरुवार को लंबी उम्र संबंधी समस्याओं के बाद यहां निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। फूकन के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी हैं। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर छा गयी है।

फूकन को साहित्य के क्षेत्र में उनके समग्र योगदान के लिए 2021 का 56वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। वह बीरेंद्रनाथ भट्टाचार्य और मामोनी (इंदिरा) रायसोम गोस्वामी के बाद असम में ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले तीसरे व्यक्ति हैं। उन्हें उनकी कविताओं की पुस्तक 'कोबिता' के लिए 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1990 में पद्म श्री और 2002 में साहित्य अकादमी फेलोशिप मिली। उन्हें 2019 में डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट से भी सम्मानित किया गया था। उनका जन्म असम के गोलाघाट में 10 सितम्बर 1933 को हुआ था। समस्त साहित्य समाज शोक संतप्त है। नूतन साहित्य कुंज ने उनके निधन को साहित्य की भारी कमी बताते हुए श्रद्धांजलि दी है।

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