डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मन मक्खन मन माणिका, मन के छोड़ विकार।
परीक्षा जब उत्सव बने, सुंदर होय विचार।।1
पुस्तक के सब पाठ का,मन में राखो ध्यान।
लेखक अरु प्रसंग का, पूरा होवे ज्ञान।।2
नित्य नियम अभ्यास से,सब सिद्धी को पाय।
एकलव्य के बाण से, कुत्ता भौका नाय।।3
धनुर्धारी अर्जुन भये,पंछी आंख लखाय।
लक्ष्यबाण के कारणे, भये सफल जगराय।।4
प्रश्नों के परकार है, दीरघ लधु आकार।
खाली जगह,जोड़े सहि, सत्य असत्य प्रकार।।5
अक्षर सुन्दर साफ लिख, भय से रहना दूर।
नियत समय का ध्यान रहे,मिले सफलता पूर।।6
कक्षा में न बात करें, करें लक्ष्य का भेद।
प्रश्न सभी पूरे करें, नहीं रहेगा खेद।।7
टेस्ट लिखित मौखिक करें, थ्योरी अरु व्यवहार।
अक्षर ठीक बनाइये, वाक्य अर्थानुसार ।।8
सही विकल्प को सदा, हल कीजे तत्काल।
सोच समझ उत्तर लिखें, कचरा देय निकाल।।9
सरल प्रश्न पहले करे, कठिन करें पश्चात।
उत्तर नम्बर सहि लिखें, दूर हटेगी घात।।10
विराम चिह्न ध्यान धरें, शब्दों के अनुसार।
लेखन भावपूर्ण करें, अक्षर मोतीदार।।11
उचित हासिया छोड़िये, उत्तर का हो सार।
अंतहि कापी फिर पढ़े, भूली करें सुधार।।12
पानी अरु पेशाब का, पहले करें निकाल ।
बाधा कोई रहे नहि, मिटा देव तत्काल।13
प्रतिभा पर्व को जानके,सभी रहे घबरायं ।
छोटा सा तो टेस्ट है, फिर भी गोता खाय।।14
पेन पेंसिल साथ रख, पटरी अरु परकार।
प्रवेश पत्र मत भूलिये, यही परीक्षा द्वार।।15
मुख पे मास्क लगाइये, दूरी का रख ध्यान।
हाथ सेनी टाइजरा, गुरु का हो सम्मान।।16
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश