खतौली का कोई भी कोना ऐसा नहीं है, जहां अतिक्रमण न हो

डा.केएस भौज्ञान, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
खतौली का कोई भी कोना ऐसा नहीं है जहां अतिक्रमण न हो, एसडीएम द्वारा बुलाई गई संबंधित बैठक में आए व्यापारी किसी अधिकारी के न आने के कारण तहसील सभागार से वापस चले गए। मात्र एक अवसर को छोड़कर नगर से कभी भी अतिक्रमण समाप्त नहीं हो पाया है। गत दिनों खतौली में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत स्थानीय श्री कृष्ण मन्दिर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आए थे, उस समय नगर की कायापलट सी हो गई थी। मुख्य रूप से जानसठ रोड़ पर पूरी तरह से दुकानदारों ने अपने अपने सामने रखा हुआ सभी सामान हटा लिया था और प्रशासन ने सड़क किनारे खड़े होने वाले रेहड़ी लगाने वालों को बिल्कुल हटा दिया था और दुकानदारों के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई भी की थी। 
बताया गया कि पक्की दुकानों में काम करने वाले दुकानदार अपने सामने कच्चे दुकानदारों से बैठाने के लिए दो से तीन हजार रूपए अथवा अधिक प्रतिमाह लेते थे। प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई एवम् सख्ती के कारण किसी भी दुकानदार की अपने सामने कच्चे दुकानदारों को बैठाने की हिम्मत नहीं हुई और परिणाम सकारात्मक रहा। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे पुन: अतिक्रमण होना शुरू हो गया, उधर प्रशासन के नरम रवैए का लाभ अतिक्रमण करने वालों ने उठाया। नतीजतन अतिक्रमण बढ़ता गया और जाम की समस्या भी पैदा हो गई। आखिर इस समस्या से निजात पाने की कवायद शुरू हुई और बीते 20 दिसम्बर को उपजिलाधिकारी खतौली ने अतिक्रमण करने वालों को तीन दिन में स्वयं ही सरकारी जगह को खाली करने के निर्देश दिए। इस निर्देश का परिणाम सामने न आने पर 23 दिसम्बर को तहसील सभागार में व्यापारियों व अन्य लोगों को विचार विमर्श एवम् सुझाव के लिए बुलाया गया था। इस बैठक का समय दोपहर बाद तीन बजे रखा गया था, बैठक में राजेश जैन, भावेश गुप्ता, महेश गुप्ता, कीमती लाल कश्यप, नासिर सिद्दीकी, रामकुमार आदि कुछ व्यापारी सभागार पहुंचे। साढ़े तीन बजे तक सभागार में एक भी संबंधित अधिकारी सभागार में नहीं आया। उसके बाद मौजूद लोगों ने अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई और वापस चले गए, हालांकि उसके बाद भी कुछ लोग सभागार पहुंचे थे।
बताते चलें कि पालिका द्वारा "नो वेंडिग जोन" के बोर्ड नगर के मुख्य स्थानों पर लगाने के बावजूद भी रोडवेज बसें, डग्गामार वाहनों का जमावड़ा जानसठ तिराहे, बुढ़ाना तिराहे के साथ ही अन्य स्थानों पर लगा रहता है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि खतौली का एक भी कोना ऐसा नहीं है जहां अतिक्रमण न हो।

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