जब भाषा में संंख्या पाते।
तब वचनों की महिमा गाते।।1
जयजयजय वचन महाराजा।
कम ज्यादा का बजता बाजा।।2
एक बहु अरू द्वि कहलाते।
पर हिन्दी में दो ही आते।।4
दो प्रकार के होते वचना,
हिन्दी में इनकी है रचना।5
एकवचन अरु बहु कहाते।
भाषा में संख्या बतलाते।।6
एक वचन तो एक बताता।
जैसे लड़का रोटी खाता।।7
बहूवचन तो बहुत बताते।
जैसे लडकें रोटी खाते।।8
खेल खेलते कविता गाते
नचते गाते खुशी मनाते।।9
शाला में दीदी समझाया।
संख्या बोध तुरत कराया।।10
बच्चे ज्यादा दीदी एका।
वचनों को हम गाकर सीखा।।11
हंसा बहिना ने बतलाया।
हॅंसी हॅंसी में हमें सिखाया।।12
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश