शालू मिश्रा नोहर, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हमारे देश में एक विशिष्ट पर्व का आगमन होता है, यह वार्षिक एक दिवसीय त्योहार है जिसका नाम है "करवा चौथ"।इस दिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती है इस दिन महिलाएं दिन भर निर्जला, निराहार रहते हुए उपवास करती है। करवा चौथ व्रत का महत्व हर स्त्री के लिए अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है । प्रत्येक सुहागिन इस दिन का बेसब्री से इंतजार करती है।
आधुनिक समय में इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में नारी एक कुशल गृहिणी होने के साथ-साथ नौकरी पेशा में भी पुरुष से कदम मिलाकर कार्य कर रही है। नौकरी करने वाली महिलाएं घर और दफ्तर दोनों जगह सामंजस्य बिठाने का भरपूर प्रयास कर रही है। वर्तमान युग में इस दिन को ड्यूटी करना भी सर्वोपरि हो गया है क्योंकि करवा चौथ को दफ्तरों, संस्थाओं में राजकीय अवकाश नहीं होता है इसे एक वैकल्पिक अवकाश ही समझा जा रहा है इस व्यस्तता भरे युग में इस विशेष पर्व के दिन भी महिलाएं असमंजस की स्थिति के अंतर्गत दिनभर व्रत के बावजूद ड्यूटी पर पहुंचती है। यहां तक कि महिला पुलिसकर्मियों की बात करें तो कुछ महिला कार्मिकों की रात में ड्यूटी होने पर उपवास खोलने के बाद पुनः ड्यूटी पर भी जाना पड़ता है।
यदि सरकार महिलाओं के सम्मान में करवा चौथ व्रत को अवकाश घोषित कर दे तो यह समस्त नारी शक्ति के लिए अद्भुत तोहफा साबित होगा। नारी जगत हर वर्ष इस अवकाश की चुनौती को स्वीकार करते हुए न जाने कैसी-कैसी परिस्थिति में अपना मैं विशेष दिन व्यतीत करती है। करवा चौथ हमारे देश में एक सार्वजनिक अवकाश न होकर प्रतिबंधित त्यौहार है। भारत के विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक समाज के भीतर वैकल्पिक अवकाश सीमितता को ध्यान में रखते हुए समस्त नारी जगत इस दिवस को अवकाश की मांग रखती है। समस्त नारी शक्ति की ओर से यह अपील राज्य सरकार के समक्ष रखती हूं कि करवा चौथ को महिला सम्मान दिवस के तौर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करना चाहिए ताकि हर नारी इस व्रत को पूरी शिद्दत से अपने परमेश्वर के लिए रखकर कथा, कहानी पूजन करते हुए हमारी भारतीय संस्कृति के प्रतीक इस पवित्र अनुष्ठान को पूरे उत्साह से कर सके।
पौराणिक मान्यता अनुसार इस व्रत को पति की दीर्घायु व दंपति जीवन में खुशहाली प्रदान करने वाला माना गया है।
अध्यापिका राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय सराणा, जालोर