अ कीर्ति वर्द्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
ज़िन्दा हो तो ज़िन्दा होने का अहसास भी कराओ,
संवाद के द्वारा अपनी उपस्थिति का आभास कराओ।
खामोशी की चादर ओढ़ कर तन्हाई में यूँ खो जाना,
मरे हुए से बदतर, जीवंतता का विश्वास तो कराओ।
जब कभी ज़रूरत पड़े तो बोलिए,
घर परिवार सन्तान हित तो बोलिए।
मृत है वह जो राष्ट्र हित सोचता नहीं,
कम से कम निज स्वार्थ तो बोलिए।
जब भी उठी आवाज़, वह गुंजायमान है,
खोयी नहीं कहीं, अंतरिक्ष में विद्यमान है।
हक़ की ख़ातिर तो सदा ही लड़ते रहे हो,
मानवता हित बोलना,जीवन का प्रमाण है।
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश