डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
अमरत उत्सव अवसरे, कीजे भारत गान।
रंग बिरंगे फूल है, कहत है कवि मसान।।
जय जय मेरे प्यारे भारत।
हिन्द महासर पांव पखारत।।1
बहुत धरम अरु राज अनेका।
भाषा भोजन भेष विशेषा।।2
विविध जाति है फिर भी एका।।
इस एका को जग ने देखा।।3
उत्तर भूटा चीन नेपाला।
दक्षिण लंका हिन्द विशाला।।4
पूरब बंगला म्यान कहाना।
पश्चिम पाका अरु अफगाना।5
यू पी लखनउ मध्य भुपाला।
जयपुर राजस् मणि इम्फाला।।6
तमिल चैन गांधी गुजराता।
आसम दिशपुर बंग कलकाता।।7
महाराष्ट्र की मुंबई नगरी।।
बिहार पटना सब जग अगरी।8
तिरुवेन्द्रम केरल है आनी।
उड़िसा भुवनेश्वर रजधानी।। 9
मिजोरम आइ नाग कोहिमा।
गंगट सिक्किम पणजी गोवा।10
चंडीगढ़ पंजा हरियाणा।
राय छतीसा ईटा अरुणा।11
झारखंड की रांची जानो।
बे़गलोर कर्नाटक मानो।12
बाद हैदरा तेलंगाना।
अमरावति आन्ध्र बखाना।।13
अगरतला तिरपुर के अंगा।
मेघालय रजधानी शिलंगा।14
शिमला नगरी राज हिमाचल।
रंग बिरंग पहाड़ी अंचल।।15
दिल्ली को भी दिल्ली मानो।
हृदय राज भारत पहिचानो।।16
अठाइस राज्य देश बखानो।
केन्द्र शासित नौ पहिचानो।।17
अंड निकोबर अरु गढ़चंडी।
जम्मू कश्मीर चेरीपंडी।।18
और दादरा नगर हवेली।
लक्षदीप लद्दाख दहेली।।19
जल ही जीवन जल ही आशा।
नदियां भारत का विश्वासा।।20
गंगा जमुना रावी सतलज।
कृष्णा हुगली झेलम नरमद।।21
सिंधु ब्रह्मा गंडक घाघर ।
सोन कावेरी अरु महानद।।22
चंबल मिलती जमना अंगा।
गोदावरि है दक्षिण गंगा।।23
बाइस भाषा है संविधाना ।
एक एक को हम पहिचाना।।24
उड़िया मलयालम पंजाबी।
कोंकड़ मैथिल अरु संथाली।।25
कश्मीरी असमी गुजराती।
बंगला कन्नड़ तमिल मराठी।।26
तेलगु डोंगरी संस्कृत हिन्दी।
उर्दू मणिपुर बोडो सिन्धी।।27
नेपाली भी भाषा प्यारी।
फिर भी इंग्लिश पड़ती भारी।।28
हिन्दी सबके मन को भाये।
जाति पांति का भेद मिटाये।।29
शिवि दधीचि हरि रन्ती देवा।
ऐसा त्याग कहीं ना देखा।।30
जनगणमन गुरुदेव सुनाया।
राष्ट्रगीत बंकिम ने गाया।।31
स्वर्ण खदाना कोलर भाई।
हीरा पन्ना में हम पाई।।32
सवा अरब का देश हमारा।
मंदिर मस्जिद अरु गुरुद्वारा।।33
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई।
जैन पारसी बुद्ध कहाई।।34
सब धर्मो का एक अधारा।
दया सत्य अरु शील विचारा।।35
तीन रंग का झंडा प्यारा।
खुशियां भरता सब संसारा।।36
श्वेत शांति हरा हरियाला ।
त्याग केशरी है मतवाला।।37
क्रांतिकारी वीर हमारे।
सुभाष लक्ष्मी गांधी प्यारे।।38
गुरू उपाधी हमने पाई।
तख नालंदा शिक्षा भाई।।39
जो भी यह चालीसा गावे।
भारत ज्ञाना तुरतहि पावे।40
गीता वेद पुराण अरु, बीजक ज्ञान कबीर।
रस भरते रसखान है, तुलसी के रघुवीर।।
पिचहत्तर अमृत पर्व पर, आज़ादी का गान।
पेड़ लगायें आज हम,लें संकल्प महान।।
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश