जनपद में एलएसडी बीमारी से ग्रसित 324 नये पशु चिन्हित किये

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 दिनेश कुमार ने बताया कि जनपद में एलएसडी बीमारी से ग्रसित 324 नये पशु चिन्हित किये गये हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व से ग्रसित पशुओं में से 3757 पशु स्वस्थ हो गये हैं। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणुजनित बीमारी है, अधिकांशतः यह बीमारी गोवंशीय पशुओं में पायी जाती है उन्होंने बताया कि रोग का संचारण, फैलाव, प्रसार पशुओं में मक्खी, चीचडी एवं मच्छरों के काटने से होता है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से प्रभावित पशुओं को बुखार होना, पूरे शरीर में जगह-जगह गांठों (नोड्यूल) का उभरा हुआ दिखाई देना है। उन्होंने बताया कि बीमारी से ग्रसित पशुओं में मृत्यु दर अनुमानित 1 से 5 प्रतिशत है।

पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि बीमारी की रोकथाम हेतु आवश्यक है उन्होंने बताया कि बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना, पशुओं में बीमारी को फैलाने वाले घटकों की संख्या को रोकना अर्थात् पशुओं को मक्खी, चीचडी, मच्छरों के काटने से बचाना, पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करना तथा डिस्इंफेक्शन (जैसे-चूना आदि) को स्प्रे करना, मृत पशुओं केे शव को गहरे अर्थात् न्यूनतम 5-6 फीट गहरे गड्ढे में दबाया जाना आवश्यक है। पशु पालको से अनुरोध है कि वह अपने बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशु से अलग बांधें। उन्होंने बताया कि उक्त बीमारी के सम्बन्ध में सूचना आदान-प्रदान करने तथा बीमारी की सूचना उपलब्ध कराने के लिये जनपद स्तर पर कलेक्ट्रेट में स्थापित कन्ट्रोल रूम नं0-9897715888, 9897749888 पर सूचित कर सकते है।
प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 दिनेश कुमार ने बताया कि जनपद के पशुपालकों के लिये स्वःरोजगार योजनान्तर्गत केसीसी पशुपालन घटक का आरम्भ किया गया है, जिसके अन्तर्गत जनपद को 4150 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके अन्तर्गत कोई भी पशुपालक अपने पशुओं का केसीसी पशुपालन घटक में किसी भी बैंक से बनवा सकता है। उन्होंने बताया कि इस योजना में 160000 धनराशि का केसीसी बिना गारंटी बनवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसका आवेदन कोई भी लाभार्थी अपने निकटतम पशु चिकित्सालय या पशु सेवा केन्द्र से प्राप्त कर पूर्ण करवाकर पशु चिकित्साधिकारी या पशुधन प्रसार अधिकारी के माध्यम से भेज सकता है।
पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि जनपद के पशुपालकों के लिये विभाग द्वारा पशुधन बीमा योजना लागू की गयी है, जिसका लक्ष्य 2800 है, जिसमें कोई भी पशुपालक अपने दुधारू पशु का बीमा करा सकता है। उन्होंने बताया कि सामान्य एवं पिछडी जाति के लाभार्थियों के लिये बीमा प्रीमियम का 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के लिये 90 प्रतिशत धनराशि उ0प्र0 सरकार के द्वारा वहन की जायेगी, शेष धनराशि लाभार्थी द्वारा स्वयं वहन की जायेगी। उन्होंने बताया कि पशुधन बीमा कराने के लिये अपने निकटतम पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करे। इस योजना में एक दुधारू भैस का बीमा अधिकतम 50000/- तथा एक दुधारू गाय का बीमा अधिकतम 40000/- का कराया जा सकता है। 

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