गौरव सिंघल, सहारनपुर। जनपद में वर्ष 2015 के दौरान एडीएम वित्त एवं राजस्व के पद पर कार्यरत वरिष्ठ पीसीएस अफसर रणवीर सिंह दुहन द्वारा बरती गई अनियमितताओं की जांच तत्कालीन कमिश्नर तनवीर जफर अली द्वारा की गई थी। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट को शासन को भेज दिया था। उस रिपोर्ट को आधार बनाकर 12 सितंबर 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रणवीर सिंह दुहन को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्तगी के समय रणवीर सिंह दुहन मेरठ मंडल के एडिशनल कमिश्नर के पद पर नियुक्त थे।
अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ रणवीर सिंह दूहन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने उनके मामले में राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि रणवीर सिंह दुहन की बर्खास्तगी की समीक्षा की जाए और दो माह के भीतर फैसला लिया जाए। हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर 2022 को करेगा। शासन के विशेष सचिव धनंजय शुक्ल ने कमिश्नर डा. लोकेश एम को सूचित किया है कि वह इस मामले की समीक्षा करें। कमिश्नर डा. लोकेश एम. ने कल 23 सितंबर को रणवीर सिंह दुहन को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है।
बता दें कि सहारनपुर और शामली में एडीएम वित्त और राजस्व के पद पर रहते हुए उन पर नियम विरूद्ध कार्य करने के गंभीर आरोप लगे थे। सहारनपुर में एडीएम के साथ-साथ वह उप संचालक चकबंदी के पद पर भी कार्यरत थे। जमीनों के चक और स्वामित्व संबंधी निगरानियों में नियमों के विपरीत आदेश देने के आरोप उन पर लगे थे। शामली में बतौर एडीएम वह सहायक संरक्षक निष्कासित संपत्ति के अधिकारी भी थे। शामली जिले की कैराना तहसील की बिडौली गांव की 27 हेक्टेयर भूमि को गलत तरीके से नीलाम करने का आरोप उन पर लगा था। शासन ने वर्ष 2015 में सहारनपुर के तत्कालीन कमिश्नर तनवीर जफर अली से रणवीर सिंह दुहन पर लगे आरोपों की जांच कराई थी। जांच में सभी आरोप सही पाए गए थे और बाद में नई सरकार बनने पर योगी सरकार ने कमिश्नर की रिपोर्ट के मद्देनजर रणवीर सिंह दुहन को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।