अपनी ताक़त का अहसास कराते हैं

डॉ. अ कीर्तिवर्ध, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

चले हम भी बारूद और बम चलाते हैं,
अपनी ताक़त का अहसास कराते हैं।
पर्यावरण विकासशील राष्ट्रों का काम,
हम विकसित हैं, चलो प्रदूषण फैलाते हैं।
हमारे बम और बारूद से प्रदूषण नहीं होता,
हज़ारों मरें, मानवता का शोषण नहीं होता।
भूखा मरे कोई या बम बारूद से मर जाये,
मानवाधिकारों का यहाँ, कोई हनन नहीं होता।
मुर्ग़ा मछली और बकरी, बस खाने के लिए,
विकासशील देश, घुट घुट मर जाने के लिए।
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग, सब ग़रीब देशों में,
विकसित देश बस, आरोप लगाने के लिए।
आतंकवादियों के अधिकार, आयोग बताते,
हत्यारों पर भी अनभिज्ञता, ये आयोग जताते।
निर्दोषों सैनिकों के अधिकार की कोई बात नहीं,
तानाशाहों के अधिकार को अधिकार जताते।
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश।

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