शालू मिश्रा नोहर, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पुस्तकें केवल पढ़ने का एक सीमित साधन ही नहीं, अपितु इनको अपने जीवन में आत्मसात करना ही श्रेष्ठ विचार है। पुस्तके बीते समय की गवाही देते हुए वर्तमान की मर्यादा में आने वाले समय की स्वर्णिम पथ पर चलने की राह दिखाती है। ये पुस्तके हमारे मानव जीवन को एक विशिष्ट आधार प्रदान कराती है। जैसी पुस्तके हम पढ़ते हैं वैसे ही छाप हमारे दिलों दिमाग की गहराइयों में संग्रहित होकर विचारों के रूप में हमारे आचरण से प्रस्फुटित होती है।
इंसान को बोरियत महसूस होने पर एक सच्चे सखा के रूप में पुस्तक का सहारा लेकर देखना चाहिए जिससे कि वह अज्ञान और रोचक जानकारियों को अपने जीवन से जोड़ पाए। यह जरूरी नहीं कि हम इतिहास, आधुनिकतावाद, अर्थशास्त्र, राजनीति, प्रौद्योगिकी, फैशन आदि सभी विषयों को एक साथ पढ़े। समाज के विभिन्न पहलुओं को अपनी जीवनशैली से मिलने वाले रुझानों को शामिल करते हुए सकारात्मक बदलाव लाते हुए पढनेका प्रयास करें और हां आप वाकई में ऐसा महसूस करेंगे कि पुस्तके हमारा सार्थक मार्ग दर्शन अवश्य करती है।
अध्यापिका रा.बा.उ.प्रा.वि.सराणा (जालोर) राजस्थान