शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 दिनेश कुमार ने बताया कि 26 अगस्त को जनपद के 21 नये ग्रामों में एलएसडी बीमारी से ग्रसित 127 नये पशु चिन्हित किये गये। पूर्व से ग्रसित पशुओं में से 566 पशु स्वस्थ हो गये है तथा आज 04 गोवंश की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि अब जनपद में 2133 गोवंश ग्रसित शेष है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणुजनित बीमारी है, अधिकाशतः यह बीमारी गोवंशीय पशुओं में पायी जाती है। उन्होंने बताया कि रोग का संचरण, फैलाव, प्रसार पशुओं में मक्खी, चीचडी एवं मच्छरों के काटने से होता है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से प्रभावित पशुओं को बुखार होना, पूरे शरीर में जगह-जगह नोड्यूल/गांठों का उभरा हुआ दिखाई देना है। बीमारी से ग्रसित पशुओं मृत्यु दर अनुमानित 1 से 5 प्रतिशत है।
प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि बीमारी की रोकथाम हेतु आवश्यक है कि बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना, पशुओं में बीमारी को फैलाने वाले घटकों की संख्या को रोकना अर्थात् पशुओं को मक्खी, चीचडी, मच्छरों के काटने से बचाना, पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करना तथा डिस्इंफेक्शन (जैसे-चूना आदि) को स्प्रे करना, मृत पशुओं केे शव को गहरे अर्थात् न्यूनतम 5-6 फीट गहरे गड्ढे में दबाया जाना आवश्यक है। पशु पालको से अनुरोध है कि वह अपने बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशु से अलग बॉधे। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को बीमारी के प्रति जागरूक करने हेतु जनपद के समस्त उप मुख्य पशुचिकित्साधिकारी व पशुचिकित्साधिकारी द्वारा ग्रामों में भ्रमण कर ग्राम प्रधानों के माध्यम से पशुपालकों को बीमारी के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को यह भी जागरूक किया जा रहा है कि बीमार पशु के दूध को उबालकर पीने या बीमार पशु के सम्पर्क में आने से मनुष्य में रोग फैलने की कोई आशंका नहीं है। उन्होंने बताया कि यह रोग जूनोटिक नहीं है, अतः यह रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है। उन्होंने बताया कि जनपद के किसी भी क्षेत्र से ऐसी कोई भ्रामक सूचना प्राप्त नही हुई है कि जिसके अनुसार मनुष्यों द्वारा ग्रसित गोवंश का दूध का प्रयोग करना बन्द कर दिया गया हो। उन्होंने पशुपालकों तथा जनपद की समस्त जनता से अपील की है कि एलएसडी बीमारी ग्रसित गोवंश के दूध उबलने के उपरान्त पूर्ण रूप से पीने योग्य शुद्ध है, इसलिए किसी भी प्रकार की भ्रामकता न फैलायी जाये।प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि समस्त उप जिलाधिकारी एवं खण्ड विकास अधिकारियों व पशु चिकित्साधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में गोआश्रय स्थलों में नियमित भ्रमण कर संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने के निर्देश दिये गये। पशु पालक रोग के प्रकोप होने पर निकटतम सरकारी पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करे तथा उन्ही से अपने पशुओ का उपचार कराये। जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा जनपद की समस्त गौशालओं तथा 137 ग्राम सभाओं में डिस्इन्फैक्शन स्प्रे कराया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त बीमारी के सम्बन्ध में सूचना आदान-प्रदान करने तथा बीमारी की सूचना उपलब्ध कराने के लिये जनपद स्तर पर स्थापित कन्ट्रोल रूम नं0-9897715888, 9897749888 पर सूचित कर सकते है।