हम पलटते नहीं, पटकते हैंः नीतीश कुमार

कौशल किशोर आर्य,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

छात्र राजनीति से लेकर अब तक की नीतीश कुमार की करीब 50 वर्षों की राजनीति बिल्कुल स्पष्ट और साफ रही है। वे देश के ऐसे लोकप्रिय राजनेता हैं, जिनके प्रशासनिक,समाजिक और राजनैतिक काम को धरातल पर उतारने के कारण उन्हें सुशासन बाबू के नाम से संबोधित किये जाने लगा है। वे ऐसे राजनेता हैं, जो समाजवादी विचार धारा, समता, समानता, समावेशी और न्याय के साथ सभी वर्गों के विकास पर लगातार काम कर रहे हैं और जिसका परिणाम बिहार में स्पष्ट दिखाई दिया है। नवंबर 2005 में स्पष्ट बहुमत से बिहार की सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार ने उसी कम संसाधन और खाली खजाना वाली सत्ता मिलने के बावजूद बिहार के विकास और मजबूती के लिए दिन-रात एक कर दिया। सत्ता संभालने के बाद उन्हीं अफसरों और कर्मचारियों को मोटीवेट करके आवश्यक सुविधाएं देकर तथा उनके मनोबल को मजबूत करके सारे संगीन अपराध करने वाले सभी बड़े कुख्यात अपराधियों को जेल में डाल दिया गया और स्टीडी ट्रायल चलाकर उन्हें सजा दी गई। बीमार और बदनाम हो चुके बिहार को एक बार फिर से उसकी खोई गरिमा को वापस दिलाया। बिहार और बिहारी के सम्मान को नीतीश कुमार ने देश दुनियां में फिर से स्थापित कर दिया है। 

बिहार समेत देश के सभी राज्यों और केन्द्र देशों की जनता और सरकार जानती है नीतीश कुमार कम बोलते हैं, पर काम ज्यादा करते हैं। झूठ बोलना और झूठे वादे करना उन्हें पसंद नहीं है, वे उतना ही बोलते हैं जितना पूरा कर सके। जो बोल दिया, जो वादे कर दिये, उसे हर हाल में पूरा करते हैं, यह उनका गुण है। वे ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, स्वच्छ, निष्पक्ष, समतावादी, न्यायप्रिय राजनेता हैं। वे ऐसे राजनेता हैं, जो दिखावा, ताम-झाम, बड़बोलेपन व चकाचौंध से दूर रहते हैं बेईमान, गद्दार-मक्कार, झूठे व्यक्तियों को वे माफ नहीं करते हैं। वे ऐसे राजनेता हैं, जो राजनीति को समाज सेवा से जोड़कर काम करते हैं। बाल विवाह, दहेज प्रथा, शराब व नशापान पर रोक इसका प्रमाण है। घर परिवार में बड़े बुजुर्ग का आदर, सम्मान और सेवा पर ध्यान रखने तथा महिलाओं और बच्चियों को आगे बढ़ाने के लिए नीतीश ने अभूतपूर्व क्रांतिकारी पहल की हैं पंचायत और नगर निकाय चुनाव में महिलाओं को 50% आरक्षण, सरकारी और अर्धसरकारी नौकरी में 35% आरक्षण तथा बच्चियों को दसवीं प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने पर 15,000/-, 12वीं पर 25,000/- और स्नातक पर 50,000/- की सहायता राशि सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही देते हैं। इसके साथ ही स्टूडेन्ट क्रेडिट कार्ड योजना द्वारा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अलग से 4 लाख रुपये देते हैं, जो बिना ब्याज का होता है और जब चाहे तब वापस करना है। इसके अलावा पहले लड़कियों और बाद में लड़कों की मांग पर सभी बच्चों को साईकिल,पोशाक समेत अन्य कई सरकारी लाभ नीतीश कुमार दे रहे हैं। इसके अलावा दलित, महादलित, अति पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक के बच्चों के लिये शिक्षा प्राप्त करने तथा इन वर्गों के सर्वागीण विकास और मजबूती के लिए अलग से प्रावधान करके विभिन्न सुविधाएं दी जा रही है। 

शराब बंदी के बाद बिहार को हर वर्ष करीब बारह हजार करोड़ का राजस्व नुकसान हो रहा है। बिहार में संसाधन की भी कमी है, उसके बाद भी अपने सूझ-बुझ और योजनाबद्ध तरीके से काम करके नीतीश कुमार ने बिहार को बीमारु राज्य से निकालकर विकास के पटरी पर दौरा दिया है यह अन्य राज्यों और केन्द्र सरकार के लिए बहुत ही प्रेरणादायक और अनुकरणीय है। ऐसे सेक्यूलर नेता को अगर देश की जनता प्रधानमंत्री बनाती है तो निश्चित रूप से देश और देश की जनता का सर्वागीण विकास और मजबूती होगा। 

संस्थापक राष्ट्रीय समता महासंघ 

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