दीपक कोहली, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
भारतीय समाज में सोशल मीडिया का दौर तेजी से बढ़ रहा है। लोगों के पास किसी और चीज के लिए पैसे हो या ना हो, मगर मोबाइल लेने और उसमें रिचार्ज करवाने के लिए अवश्य है। हम और आप सोशल मीडिया पर अपना जितना समय खर्च कर रहे हैं, अगर इस समय का हम अपने जीवन काल में सद्प्रयोग करें तो हम और आप एक बेहतर इंसानों का समाज बना सकते हैं। सोशल मीडिया पर हम सिर्फ किसी पार्टी के समर्थक बनते जा रहे हैं या किसी विचारधारा के चक्कर में लोगों से आए दिन लड़ते झगड़ते रहते हैं। सोशल मीडिया के कारण हम अपने व्यक्तिगत जीवन में भी अपनी विचारधारा या अपनी समर्थन वाली राजनीति पार्टी के खिलाफ एक भी शब्द सुनना पसंद नहीं कर रहे हैं।
बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो अपनी विचारधारा को लेकर अपने घर में भी आए दिन लड़ाई झगड़ा करते हैं। सोशल मीडिया के कारण हमारे भारतीय समाज में लगातार तनाव और हिंसा का माहौल बनता जा रहा है। एक वक्त हुआ करता था, जब सोशल मीडिया के जरिए लोग अपनी बातों को रखा करते थे, मगर अब सोशल मीडिया पर लोगों को अपनी बात रखने से पहले 10 बार सोचना पड़ रहा है। कब किसकी भावनाएं आहत हो जाए किसी को नहीं पता है। कभी आपने अपनी पोस्ट पर गलती से किसी ऐसा शब्द का इस्तेमाल कर दिया। जिससे की किसी की भावनाएं आहत हो जाए तो आप के खिलाफ हजारों लोग खड़े हो जाएंगे। मगर उन लोगों के खिलाफ कोई खड़ा नहीं होता जो लोग दूसरों को इनबॉक्स में जाकर गाली गलौज, धमकियां देते हैं और महिलाओं को परेशान करते हैं।
सोशल मीडिया कहीं ना कहीं भारतीय समाज और संस्कृति को विकृत कर रहा है। हमारे धार्मिक गुरु भी सोशल मीडिया पर अपने फ्लावर्स बढ़ाने में लगे हैं। फेसबुक रील और इंस्टाग्राम स्टोरी आदि ऐपों में महिलाएं और लड़कियां जिस तरीके से अपने शरीर का प्रदर्शन करती नजर आ रही है, वह किसी भी प्रकार से अच्छे संकेत नहीं हैं। हां मेरी इस बात से बहुत सारी महिलाओं को दुःख जरूर पहुंचेगा मगर यह हकीकत है। लाइक, फॉलोअर्स और कमेंट के चक्कर में आज हम अपने व्यक्तिगत जीवन को तबाह करते जा रहे हैं। सोशल मीडिया के चक्कर में कई शादियां टूट रही हैैं और कई ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जो दिल बहला देती है।
कौन व्यक्ति कब क्या झूठ बोलकर समाज को गुमराह कर रहा है, इसका पता ही नहीं है। सोशल मीडिया ने भारतीय समाज को ऐसा बना दिया है कि अगर मैं हिंदू हूं तो मुझे मुसलमानों की कमियां ही दिखाई देंगी और अगर मैं मुस्लिम हूं तो मुझे हिंदुओं की कमियां ही दिखाई देंगी। जबकि हकीकत कुछ और ही होती है। हर समाज, हर धर्म और हर जाति में ऐसे इंसान हैं, जो अच्छे भी हैं और बुरे भी हैं। आज हमें जागरूक होने की जरूरत है। सोशल मीडिया के जरिए भारतीय समाज को कट्टर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यूं ही कट्टरता फैलती रहेगी तो इस कट्टरता का नुकसान भारत में रह रहे हम सभी लोगों के जीवन पर पड़ेगा। हम सभी को सोशल मीडिया पर फैल रही धार्मिक कट्टरता और जातीय कट्टरता से ऊपर उठकर भारतीय हितों को ध्यान में रखते हुए इस कट्टरता को फैलने से रोकना होगा और एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान देना होगा।
अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड़