इस बार जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के प्रकटोत्सव का वार, नक्षत्र गोचर नहीं

शि.वा.ब्यूरो, खतौली। आजकल हर त्यौहार को दो या उससे भी अधिक दिनों में मनाने का चलन जोर पकड़ता जा रहा है, इसमें सोशल मीडिया भी कोड में खाज का काम कर रही है। जिसके दिमाग में जब भी जो भी आता है, वह उसे फेसबुक व्हाट्सएप आदि विभिन्न सोशल मीडिया चैनल पर पोस्ट कर देता है, जिससे इसकी समाधान की ओर अग्रसर होने के स्थान पर स्थिति निकटतम होती जा रही है।
जी हां! हम बात कर रहे हैं आज मनाए जाने वाले श्री कृष्ण जन्माष्टमी की। कुछ लोग आज यानी 18 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मना रहे हैं, लेकिन कुछ लोग कल यानी 19 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को 2 दिन मनाने के पीछे हालांकि यह तर्क दिया जाता है कि जो लोग श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा क्षेत्र के प्रभाव में हैं, वे आज यानी 18 अगस्त को श्री कृष्ण के वास्तव में धरती पर अवतरित होने की तिथि को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं, लेकिन जो लोग गोकुल क्षेत्र के प्रभाव में हैं वह लोग 1 दिन बाद यानी श्री कृष्ण के गोकुल में पहुंचने के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी को 2 दिन मनाए जाने के पीछे ज्योतिष आचार्यों का मत भिन्न है। ज्योतिषाचार्य लक्ष्मी प्रसाद मैंदुली के अनुसार सभी पंचांग में स्मार्त और वैष्णव का जिक्र अक्सर किया जाता है, लेकिन प्रायः लोगों को खुद ही यह ज्ञात नहीं है कि वे स्मार्त हैं या वैष्णव। लक्ष्मी प्रसाद मैंदुली बताते हैं कि उन्होंने खुद विभिन्न पंचांगों के प्रकाशकों से स्मार्त और वैष्णव के बारे में स्थिति जानने की कोशिश की है, लेकिन कोई भी प्रकाशक इस बारे में कुछ भी नहीं बता सका और विद्वानों से ज्ञात करके कुछ बताने की बात कह कर पूरे विषय को ही टाल गए। 
लक्ष्मी प्रसाद मैंदुली ने बताया कि स्मार्त लोग भगवान के प्रकट होने की कामना करते हुए अर्ध रात्रि तक स्तुति करते हैं और श्री कृष्ण के जन्म के बाद अपना व्रत खोल कर भगवान श्री कृष्ण के असल में प्रकट होने वाले दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसके विपरीत वैष्णव लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद खुशियां मनाने के लिए श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण जी का जन्म मथुरा की जेल में बुधवार की अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। उन्होंने बताया कि इस बार न तो 18 अगस्त यानी आज बुधवार है और नए ही रोहिणी नक्षत्र गोचर है। उन्होंने बताया कि अष्टमी तिथि 18 अगस्त यानी आज 21.21 यानी 11.21 बजे से आरंभ होकर 19 अगस्त यानी कल रात्रि 10.59 बजे तक ही रहेगी, जबकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में 12:00 बजे हुआ था। पंडित लक्ष्मी प्रसाद मैंदुली ने बताया कि कल यानी 19 अगस्त को भी न रोहिणी नक्षत्र गोचर है और न ही बुधवार है। इसके साथ ही अब अर्धरात्रि यानी 12:00 बजे अष्टमी तिथि ही गोचर रहेगी, क्योंकि अष्टमी तिथि आज 18 अगस्त को प्रात है 11.21 बजे से €19 अगस्त को 22.7 यानी 10.59 बजे तक ही रहेगी। ऐसे में 19 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के औचित्य पर प्रश्न लगना स्वाभाविक है। उन्होंने काशी के ज्योतिष वाचस्पति रामसेवक सती के हवाले से बताया कि गृहस्थ धर्म का पालन करने वाले स्मार्त होते हैं, जबकि विष्णु भक्त खाली चंदन का टीका लगाने वाले योगी वैष्णव की श्रेणी में आते हैं। 
सरकार द्वारा 19 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का समर्थन करते हुए एक सरकारी सेवक ने बताया कि क्योंकि लोग भगवान श्री कृष्ण के प्रकट होने की कामना में रात्रि 12:00 बजे तक जागते हैं और अर्ध रात्रि 12:00 बजे भगवान के प्रकट होने के बाद अपना व्रत खोल कर खुशियां मनाते हैं। इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने जन्माष्टमी के अगले दिन यानी 19 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है।
ज्योतिषाचार्य पंडित लक्ष्मी प्रसाद मैंदुली ने कहा की उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ खुद योगी और महान विद्वान हैं, ऐसे में उनसे सरकार का मुखिया होने के नाते यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह लोगों को स्मार्त और वैष्णव का भेद स्पष्ट करें, ताकि लोगों की भ्रांतियां दूर हो सके। ज्ञात हो कि इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार भी 2 दिनों तक मनाया गया था।


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