संपत्ति या विवाद......फैसला आज

अनुभव कुमारशिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 

अथक परिश्रम करते हुए आप कितनी ही रातें जागकर बिताते हैं, ताकि आप अपने प्रियजनों का भविष्य सुरक्षित कर सकें। आप चल-अचल संपत्तियों का संचय करते हैं, ताकि वो आपकी कड़ी मेहनत से वही हुई फसल को वक्त आने पर काट सकें। क्या वाकई आप संपत्तियां बनाकर उनके भविष्य का निर्माण कर रहे हैं या एक बड़ी पारिवारिक कलह को जन्म दे रहे हैं?

यद्यपि हम अपने जीवन के कार्य-काल में रोजमर्रा की दिन-चर्या में इन विषयों की चर्चा करना नहीं पसंद करते, किंतु यह विषय समय बदलने के साथ उतना ही सोचनीय है, जितना की दौलत का संग्रह। लेकिन क्या हमने कभी इसका विश्लेषण या लेखांकन किया है और उन सवालों के जवाब खोजे हैं जो निकट भविष्य में अवषंयभावी रूप से खड़े होंगे या जब हम इस दुनिया को छोड़कर जाएंगे क्योंकि जीवन अनिश्चित है, लेकिन मृत्यु निश्चित है।

अनिश्चितता आज अपनी चरम सीमा पर है और अपने विचारों को आत्मसात करने और अपनी इच्छाओं को तय करने के लिए हमारे पास प्रचुर मात्रा में समय है। महामारी हमें पहले ही रोजगार, मंदी, आर्थिक बोझ, प्रवासी मजदूर संकट, नौकरियो की कमी, द्रव्य की अनुपस्थिति, नकद की कमी, आपूर्ति श्रंखला का टूट जाना और इसी तरह की अन्य बहुत सारी समस्याओं के रूप में दिखा चुकी है कि समय हमेशा हमारे अनुकूल नहीं रहता। इस तरह का समय हमें मूल्यांकन करने और आत्मनिरीक्षण करने के लिए मजबूर कर देता है कि ऐसी परिस्थितियों में हमें भविष्य काल में अपने परिवार को किस तरह से सुरक्षित करना चाहिए। 

हममें से बहुत लोग इस मिथ्यानाम के साथ जीते हैं कि अगर हम अपनी इच्छाओं को लिखित रूप से वसीयत के तौर पर व्यतीत कर देंगे तो परिवार के अंदर अनचाहे मनमुटाव पैदा होंगे। इसके विपरीत अक्सर यह देखा गया है कि जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पहले से ही स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है, वहां संघर्ष होने की कशमकश कम होती है, इसलिए अगर कोई व्यक्ति निर्वसीयत मरता है, तो उसके द्वारा छोड़ी गई चल-अचल संपत्ति एक बहुत बड़े पारिवारिक विवाद का कारण बन बन जाती है। वह इसलिए, क्योंकि मरने वाले व्यक्ति की इच्छा कभी भी लिखित रूप से स्पष्ट नहीं होती। ऐसे हालातों में सरकार और कानूनी तौर पर जो भी माननीय होता है, वही लागू होता है। यह स्थिति ज्यादातर कुटुम्भों में झगड़ों और मन-मुटाव के माहौल को जन्म देती है और सदैव के लिए हमारे बेशकीमती रिश्तो में हमेशा के लिए दरारे उत्पन्न कर देती है। जो भाई-बहिन जो एक दूसरे के सुख-दुख के साथी होते हैं, वही आज एक दूसरे को दुख पहुंचाने का सबसे बड़ा कारण बन जाते हैं।   

अतः अपनी इच्छाओं को स्पष्ट रूप से समयानुसार व्यक्त करना आपको मानसिक शांति प्रदान सकता है और साथ ही पारिवारिक प्रेम और स्नेह को टूटकर बिखरने से बचा सकता है। जिस प्रकार तलाक लेना पिछले सालों की तुलना में आज जटिल हो गया है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य के जाने के बाद उसकी चल-अचल संपत्ति का विभाजन और भी ज्यादा कठिन हो गया है। आपकी सफलता आपके व्यवसायिक और व्यक्तिगत जीवन काल में लिए गए फैसलों की समझदारी पर निर्भर करती है। आपका व्यवसाय क्षेत्र हो या फिर आपकी निजी जिंदगी - दोनों में ही आप प्रसांगिक समय पर लिए जाने वाले जरूरी फैसलों के बिना सही रूप से आगे नहीं बढ़ पाते है।

किसी भी वसीयत का आवश्यक रूप से पंजीकृत होना जरूरी नहीं है। वसीयत करने वाले की इच्छा का लिखित या मौखिक होना ही उसकी वसीयत है। हालांकि वर्तमान परिद्दष्य में एक लिखित दस्तावेज का अपना महत्व है, जो आपके विचारों और इच्छाओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है और भविष्य में किसी भी प्रकार की मुकदमेबाजी की संभावना को कम करता है। किसी व्यक्ति के जीवन के लिए किसी भी पड़ाव में कोई भी व्यक्ति वसीयत कर सकता है और इसको वह अनेकों बार परिवर्तित भी कर सकता है।

अतः आज जब हमारे पास सोचने विचारने के लिए भरपूर समय है, तो आइए! मंथन करें और अपनी इच्छाओं को एक लिखित रूप दें, ताकि हम अपने परिवार को जो संपदा दे वह शांतिपूर्ण हो न कि कलहपूर्ण। अंत में मैं भगवान बुद्ध के सुविचार के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा कि यहां तक कि बुद्धिमानी से जीने वाले को मौत से भी डर नहीं लगता है।

एडवोकेट सुप्रीमकोर्ट, नई दिल्ली


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