डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।दरबार कोठी चालीसा 3

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

आगर के उत्तर बसे, जय कोठी दरबार।
शारद का मंदिर बना,बच्चें पढ़ें हजार।।
पुण्य भूमि है आगर माता।
तुम्हरा जस मैं हरदम गाता।।1
मेरी नगरी जग ने जानी।
नवी सदी इतिहास बखानी।।2
चूना काकर पीली माटी।।
लाल मुरम सीमेंट जुड़ाती।।3
सोलह आठा तेरह आया।
आगर को फिर जिला बनाया।।4
इंदुर कोटा रोड़ सुहाई।
सरपट वाहन चलते भाई।।5
बहुत दिनों की बात बताऊं।
सच्चा सच्चा हाल सुनाऊं।।6
इस नगरी का हाल पुराना।
बैजनाथ है शिव का धामा।।7
जलवायु है स्वास्थ्य हिताई।
सब जनता के भी मन भाई।।8
सन अट्ठारह त्रैसठ आया।
इस कोठी को पूर्ण कराया।।9
अंग्रेजों का बंगला प्यारा।
शीत गरम का है रखवाला।।10
बाइस कमरे खिड़की आली।
दरवाजे चौंतिस बलशाली।।11
ईंटें  चूने से  जुड़वाई।
फिर सुंदर समतल करवाई।।12
दो फिट चौड़ी मोटी वालें।
ऊपर चिमनी धुंआ निकाले।।13
भट्टी गरमी सेहत वाली।
ठंडों मे सुख देय निराली।।14
सभा हाल विस्तृत बनवाया।
रियासत धारी कु बुलवाया।।15
समय समय बैठक करवाते।
राज प्रशासन राय सुझाते।।16
जय जय जय कोठी दरवारा
स्कूल उत्कृष्ट रूपहि धारा।।17
बड़ा द्वार करता है स्वागत।
शोभा देखें पाहुण आवत।।18
पूरब बंगले बड़े सुहाते।
राजस कालोनी कहलाते।।19
पश्चिम वन की सुंदरताई।
नये नये पौधे उपजाई।।20
बहु उद्योगा उत्तर भाई।
मजदूरों ने रोजी पाई।।21
सन त्रैपन स्कूल लगाया।
हाई स्कूल दरजा पाया।।22
सुंदर उपवन लगे सुहाई।
प्रांगण क्रीड़ा भी सुखदाई।।23
बरगद बोधि वृक्ष है प्यारा।
जहां हवा का मिले सहारा।।24
रंग विरंगे फूल सुहाते। 
पंछी नित नव गीत सुनाते।।25
बाल फौज जिले में प्यारी।
सैनिक खादी वर्दी धारी।।26
इसकाउट की टोली गाती।
रेड क्रास सेवा करवाती।।27
बोरिंग का पानी है ताजा।
जासे सारा उपवन साजा।28
फूलों की है शोभा भारी।
मन मोहक लगती हैं क्यारी।।29
पुरुष प्रसाधन हरे बगीचा।
आंगन सुंदर लगे गलीचा।।30
टीन शेड भी लगे सुहावन।
मां शारद की मूरति पावन।।31
सौर ऊर्जा यंत्र है ऊपर।
वृक्षों की हरियाली भूपर।।32
बावन बीघा क्षेत्र विशाला।
निकेत शांति गुरु की शाला।।33
साल बील के पेड़ सुहाते।
बरगद पीपल मन हरषाते।।34
बचपन की यादें जब आई।
पेड़ चढ़ाई गुरु पिटाई।।35
भूमी रक्ता लगत कठोरा।
बच्चें खेलें चारो ओरा।।36
बारह कक्षा छात्र हजारा।
बैठक हाल जिले में प्यारा।।37
प्रयोगशाला तीन बनाई।
भौति रसायन जीव सुहाई।।38
सभी ओर दीवार बनाई।
पास पास में बेल सुहाई।।39
हे मेरी शाला सुखदाई  ।
नित उठ के मैं करुं बड़ाई।।40
कागज पाती देखके, लिख दीना है सार।
भूल चूक जो हो गयी, लीजो आप सुधार।।
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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