नन्दकुमार बघेल को न्यायिक हिरासत में भेजना सवालों के कठघरे में, गिरफ्तारी से नायक बनकर और ज्यादा मजबूत होकर उभरेंगे नन्दकुमार बघेल

कूर्मि कौशल किशोर आर्य, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 रायपुर निवासी समाजसेवी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के पिता नन्दकुमार बघेल की पक्षपात पूर्ण गिरफ्तारी बहुत ही दुःखद और शर्मनाक कुकृत्य है। जिन मामले और धाराओं में उनकी गिरफ्तारी करके 15 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने से न्यायालय पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि पहले भी वे इस तरह के जन जागृति वाले काम देश के विभिन्न प्रदेशों में करते रहें हैं। जिन मामले और आरोप में उन्हें जेल भेजा गया है, उसके बारे में पं जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक तिलक और अन्य साहित्यकारों ने विस्तार से पहले ही सच्चाई सार्वजनिक कर चुके हैं। यहाँ तक कि डीएनए से भी स्पष्ट हो चुका है। यहाँ तक कि बामशेफ के वामन मेश्राण और अन्य प्रबुद्ध मित्रों ने प्रमाण के साथ अपने सभी सभाओं में सार्वजनिक रूप से वही बात रखी है जो श्री बघेल ने रखे हैं। फिर वही बात अगर नन्दकुमार बघेल दोहराते हैं तो इसमें कैसी, कहाँ और कब जातीय विद्वेष या कटुता फैली, जिसके कारण सरकार-प्रशासन को 86 वर्षीय बुजुर्ग को गिरफ्तार करके जेल भेजना पड़ा। खैर! जिन मामले में श्री बघेल को गिरफ्तार करके ब्राह्मण जाति को खुश करने की कोशिश की गई है, वह जाति खुद को सर्वश्रेष्ठ और सर्वोपरि और दूसरी जातियों को नीच मानती आई है और आज भी मान रही है।  अपने निजी स्वार्थ को साधने के लिए उसने 6743 से उपर जातियाँ बनाकर सभी पिछड़े, दलित, शोषित वर्ग को आपस में बांटने वाले साजिश करके मानव समाज को बिखंडित कर दिया, जिसका दंश भारतीय समाज लम्बे समय से झेल रहे हैं और ना जाने कब तक झेलते रहेंगे, क्योंकि विभिन्न जातियों में बांटकर हमें आपस में असंगठित करके अलग-अलग कर दिये गये हैं। एक तरफ धर्मशास्त्र कहते हैं कि "जन्मजायते शुद्र:" अर्थात  जन्म से सभी शुद्र हैं। दूसरी ओर उन धर्मशास्त्रों में ब्राह्मण जाति के लोगों को सर्वश्रेष्ठ और ब्राह्मण देवता बताते हुए बाकी को नीच बताया है। यह कितनी ताज्जुब की बात है कि ब्रह्मा के मुख से पैदा हुए व्यक्ति ब्राह्मण बन जाता है, उसी ब्रह्मा के भुजा से पैदा हुए व्यक्ति क्षत्रिय, पेट से पैदा हुए व्यक्ति वैश्य और उसी ब्रह्मा के पैर से पैदा हुए व्यक्ति शुद्र बन जाता है।  सवाल यह भी उठता है कि मुख, भुजा, पेट और पैर से कैसे कोई पैदा ले सकता है? कथित धर्मशास्त्र के अनुसार कहा यह भी जाता है कि गणेश जी का जन्म पार्वती जी के मैल और हनुमान जी के बेटे का जन्म उनका पसीना  समुंदर में गिरने से मछली के पेट से हुआ था। यह बेबुनियाद और आधारहीन अतार्किक बाते कितनी अजीब और अवैज्ञानिक है।  

संस्थापक राष्ट्रीय समता महासंघ सह राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा

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