पंकज सोलंकी।
ओबीसी कहता है कि वह दलित नहीं है, दलित मतलब एससी। अब सच्चाई का पड़ताल कर लेते हैं।
१- यूपी में दो बहनों का पेड़ पर फांसी दे दिया गया था। वह जाति की कोइरी /कुशवाहा थी। वह ओबीसी में आता है, लेकिन हर न्यूज चैनल और अखबार उन्हें दलित लिखता रहा।
२- फूलन देवी मल्लाह जाति की थी, वह भी ओबीसी की कटेगरी में आती हैं, लेकिन उन्हें भी न्यूज वाले /पत्रकार दलित ही कहता है। यह बड़े पैमाने पर किया जाता है। फूलन देवी पर जो पिक्चर आयी थी, उसमें में दलित कहा गया है।
३- कुख्यात भंवरी कांड में भंवरी देवी कुम्हार जाति की थी जो ओबीसी कटेगरी में आता है। भंवरी देवी को भी आज तक दलित ही कहा जाता है। इतना ही नहीं प्रख्यात क्मयुनिष्ट लेखक राजेंद्र यादव भी दलित कहते थे।
४- प्रख्यात लेखक कांचा इल्लैया जाति के गरेडी हैं, वह भी ओबीसी में आते हैं, उन्हें भी दलित लेखक लिखा जाता है।
५- दिलीप मंडल (फेसबुक सेलिब्रिटी ,पूर्व कार्यकारी संपादक, इंडिया टुडे) कलवार जाति के हैं, वह भी ओबीसी जाति के हैं उन्हें भी दलित चिंतक कहा जाता है।
६- दूरदर्शन के भूतपूर्व पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल को भी कभी कभी दलित चिंतक और विश्लेषक लिख देते हैं, जबकि वह अहिर जाति से हैं और ओबीसी हैं।
७- महात्मा फूले (माली) ,क्षत्रपति शाहू जी महाराज (कुर्मी) ,कबीर (जुलाहा) , बिरसा मुंडा (मुंडा) ,नरायणा गुरू (एझवा) ,पेरियार को भी मजे से दलित महापुरुष कह दिया जाता है।
ऐसे तमाम उदाहरण आप देख सकते हैं। सवर्ण सत्ता द्वारा ओबीसी +एस सी में कोई भेद नहीं किया जाता। उन्हें दलित ही कहा जाता है। उनके हर माध्यम में, लेकिन भेद कब किया जाता है, जब कहीं मामला फंसता है। उन्हें लगता है कि अब दलित के नाम पर ओबीसी और एस सी एक मंच पर आ जायेंगें। जैसे-रोहित वेमुला कांड में मामला फंसा तो यहीं मीडिया वाले समझाने लगे कि रोहित वेमुला दलित नहीं ओबीसी है।
अभी हाल फिलहाल में न्यूज १८ वाले एक एंकर सुमीत अवस्थी ने ऑन स्क्रीन कह दिया, भीमा कोरेगांव में मरने वाला युवक दलित नहीं मराठा था, उससे दलित को क्या लेना देना!! गजब का कुतर्क!इस तरह के कुतर्को ने से वे शोषित के बीच दरार और भेद पैदा करते हैं। दलित +ओबीसी का टंटा खड़ा करने वाले शोषित वर्ग के लोगो को सोचना चाहिये कि एक ब्राह्मण जब एक विडियो बनाकर वायरल करता है कि, वह सनातनी ब्राह्मण है। वह देशभक्त है, उसने कभी राज नहीं किया, न राजा बना। लेकिन 'देश' की ख़ातिर राजा का नकेल अपने पास रखा! चाणक्य ही वह ब्राह्मण था जो एक दलित चंद्रगुप्त को राजा बना दिया। कहने की मंशा और चंद्रगुप्त का दलितपन उसके नजरिये से समझिये। वैसे चाणक्य भी एक नाटक में चंद्रगुप्त को हमेशा वृष ही कहता है, वृष यानी बैल।
दलित शब्द असंवैधानिक है
दलित शब्द गैरकानूनी है, परंतु ब्राह्मण बनिया प्रचार माध्यम किसी एक संवैधानिक वर्ग SC या OBC को अपनी सुविधानुसार उपयोग करके उनमें विभाजन या हीनभावना निर्माण करने के लिए करता है। दुनियाभर में अपने दुश्मनों में हीन भावना निर्माण इसलिए किया जाता है कि दुश्मन का मनोबल गिराकर उनके व्यक्तित्व को गिराया जा सके। इसका मतलब है जो लोग SC ST OBC का मनोबल गिराने का कार्य करते हैं वह दोस्त कैसे हो सकते हैं? जो लोग अपने दुश्मन की पहचान नहीं कर सकते वह समूह दुश्मनों के षड्यंत्र के आसानी से शिकार होते है।