निरंकुश राजनीतिक दलों की ईंट से ईंट बजाने को तैयार उत्तर प्रदेश की विमुक्त जातियों के छः करोड़ लोग
लखनऊ। जहां एक और समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकारें विमुक्त एवं घुमंतू जातियों कि उत्तर प्रदेश में आरक्षण श्रेणी खत्म करने की कुसूरवार हैं, वही प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार इन्हें जाति प्रमाण पत्र तक न देने की लगातार हठधर्मी कर रही है। अनेकों प्रत्यावेदन एवं प्रत्यक्ष मुलाकातों के बावजूद प्रदेश के काबीना मंत्री और माननीय मुख्यमंत्री के कान पर जूं नहीं रेंगी। इनकी बेरुखी से आजिज जाकर उत्तर प्रदेश में निवासरत विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के छह करोड़ लोगों ने आगामी 2022 के विधानसभा इलेक्शन में ईट से ईट बजा देने का मन बना लिया है। उत्तर प्रदेश की विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों को हर दलों की सरकार ने ठगने का काम किया है। उत्तर प्रदेश राज्य में विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के लिए केवल शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में शेड्यूल्ड ट्राइब के साथ 5% आरक्षण दिया जाता था किंतु सरकारों ने इनके बच्चों को विमुक्त जाति के प्रमाण पत्र देना ही बंद कर दिया है। ये हाशिए के लोग शिक्षा के अधिकार से भी साजिशन वंचित कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों के लिए आवंटित किए गए हजारों करोड़ रुपए की बंदरबांट भी अन्य समुदायों में कर दी गई और इनके हिस्से में कुछ भी नहीं आया। आश्रम पद्धति विद्यालय जो कि केवल विमुक्त समुदायों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए खोले गए थे उनमें भी असंवैधानिक तरीके से बसपा सरकार ने सामान्य एवं एससी एसटी और ओबीसी कोटा आरक्षित कर दिया था। विमुक्त जातियों के अधिकारों के हनन में समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी भरपूर भूमिका निभाई जबकि वर्तमान योगी सरकार ने विमुक्त एवं घुमंतू समुदायों को स्थाई रूप से जंगल का रास्ता दिखा दिया है। उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां संस्थानिक लूट को वैधता प्रदान की गई है। ऐसी स्थिति में विमुक्त एवं जनजातियों के एक करोड़ लोग सपा, बसपा, भाजपा एवं कांग्रेस को तो कतई पसंद नहीं करते हैं। उनके सामने बस नोटा ही एकमात्र विकल्प बचा है। कहने को तो आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों को उनकी पहचान बहाल करने अर्थात विमुक्त जाति के प्रमाण पत्र जारी करने और शिक्षा का अधिकार दिलाने एवं अन्य अधिकार देने की बात कही है। किंतु अभी तक सार्वजनिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की है। और न ही पिछले चुनाव के घोषणा पत्र में इनके लिए कोई घोषणा की थी। हताश निराश एवं आक्रोशित विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों का यह दावा है कि वे सत्ता दलों की ईट से ईट बजाने के लिए तैयार बैठे हैं। अलहिंद पार्टी जोकि ब्रिटिश हुकूमत के विद्रोही विमुक्त क्रांतिवीरों एवं गुमनाम शहीदों के वंशजों को उनका अधिकार एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन दिलाने के लिए कटिबद्ध है, ने जमीनी स्तर पर यह कार्य किया है. विभिन्न राजनीतिक दलों की राज्य एवं केंद्र सरकार ने तो इन समुदायों के साथ अंग्रेजों जैसा ही व्यवहार किया है ऐसी स्थिति में जब तक की अल हिंद पार्टी खुद सत्ता में नहीं आती है तब तक केवल न्यायपालिका से ही एक उम्मीद है कि भारत की 15 करोड़ विमुक्त जातियों को उनकी वास्तविक पहचान अर्थात जनजाति के जाति प्रमाण पत्र एक समान प्रारूप में जारी किए जाएं ताकि उन्हें शिक्षा एवं सेवाओं में सहूलियत मिल सके और उनकी गौरवमई पहचान बहाल हो सके. पार्टी ने फर्जी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पेंशन प्राप्त करने वाले कोर्ट के माध्यम से भंडाफोड़ कर दिया है अब उनकी कोशिश यह है कि वास्तविक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के करोड़ों वंशज अर्थात विमुक्त जनजातियों के लोगों को 1985 से लागू संग्राम सेनानी पेंशन दिलाई जाए. अलहिंद पार्टी की कोशिश तो यह है कि लोकसभा में अधिकांश सदस्यों को सांसद बनाकर भेजें. ताकि अभी तक सर्वाधिक वंचित विमुक्त समुदायों के लिए नीतियां बनाई जा सकें।
आजादी के बाद सरदार पटेल जी राजस्थान दौरे पर गए उनसे राम निवास मिर्धा ( पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान) श्री निवास मिर्धा पूर्व मंत्री के पिता जी सरदार पटेल जी से मिलने पहुचे सरदार पटेल जी से नमस्कार किया तब सरदार पटेल जी ने सम्मान पूर्वक राम गोपाल मिर्धा से पूछा कि आपके जुते कहाँ है तब मिर्धा जी ने कहा कि हम लोग यहां जुते पहन कर नहीं निकल सकते हैं सरदार पटेल जी ने विनम्रता से पूछा कि आखिर क्यों? तब राम निवास मिर्धा के पिता जी ने कहा कि यहां राजपूतों का राज है हम जाट क्या सवर्णों के अलावा कोई जुते नहीं पहन सकता तब सरदार पटेल जी ने जयपुर के महाराजा उम्मेद सिंह को बुलाया और पूछा कि आप क्या हो तो उसने अपना नाम बताया कहा कि राजा या महाराजा तो नहीं हो उम्मेद सिंह ने कहा कि वो आपने कभी का खत्म कर दिया है। तब सरदार पटेल जी ने राम निवास मिर्धा के पिता को आगे करते हुए कहा कि ये क्या है? अब आप न राजा हो न महाराजा मानते हो कि नहीं। तब उम्मेद सिंह ने कहा कि अब बराबर है फिर सरदार पटेल जी ने कहा कि यहां लोगों को जुते पहनने पर मनाही है ये आपके सामने है। अगली बार से शिकायत न आए कि किसी प्रकार का भेदभाव हो रहा है। फिर सरदार पटेल जी ने राम निवास मिर्धा और उसके भाई को इंग्लैंड पढ़ने को कहा तो उन्होंने कहा कि हम लोगों को खाने को लाले पढ़े है तब सरदार पटेल जी ने दोनों को बार एट ला करने इंग्लैंड भेजा।
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