कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
एक प्रसिद्ध सूक्ति है कि व्यक्ति को प्रवृत्ति ही नहीं, उसके परिणाम को भी देखना चाहिए। जो परिणाम के बारे में पहले सोंच लेता है, वह सही निर्णय कर सकता है। परिणाम के भले-बुरे का चिन्तन किये बग़ैर अच्छे-बुरे का निर्णय नहीं कर सकता। एक नासमझ व्यक्ति पहले आग में हाथ डाल देता है, हाथ जल जाने पर उसकी समझ में आता है कि आग में हाथ डालना बेवकूफी है। आईन्दा इस खतरे में पड़ने से पहले वह दस बार सोंचेगा।
प्रसिद्ध दार्शनिक बुर्श बार्टन ने अपने एक इतिहासकार मित्र से पूछा-क्या तुम मुझे विश्व के छह प्रमुख व्यक्तियों के नाम बता सकते हो, जो अपने कार्यों से इतिहास पुरुष बनें हों? मित्र ने छह महान व्यक्तियों के नाम बताये-भगवान बुद्ध, ईसा, अशोक, अरस्तु, लिंकन और बेकन। पांच नाम तो बुर्श को जंच गये, किन्तु अशोक का नाम उन्हें नहीं जँचा। अशोक का नाम प्रसिद्ध व्यक्तियों में कैसे? वह तो युद्ध के भायावाह से डर कर मैदान छोड़ गया था?
मित्र ने कहा-यह तुम्हारा दृष्टिकोण हो सकता है, लेकिन अशोक जैसा व्यक्ति इतिहास में अनोखा और महान है। वह पहला व्यक्ति है, जिसने युद्ध के परिणामों को ठीक से समझा। युद्ध से हुए विनाश को उसने अपनी आँखों से देखा और उससे सीख भी ली और वह भविष्य के लिए युद्ध से सदा के लिए अलग हो गया, इसलिये उसे कायर नहीं माना गया।
यह एक सुन्दर उदाहरण है हमारे सामने। हमें हर समस्या को उसके परिणामों के आधार पर समझने का प्रयत्न करना चाहिए। ऊपरी तौर से देखने से कोई भी चीज़ समझ में नहीं आयेगी, परन्तु गहराई से परिणाम देखने पर सबकुछ स्पष्ट रूप नज़र आने लगता है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ
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