प्रभाकर सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
नयी कविता क्या है
दर्पण में देखो, कुछ लिख दो
अपने चेहरे की झाँइयों में
उम्र नहीं कुछ दर्द देख लो
दर्पण की ख़ामोशी में
कुछ लफ़्ज़ पढ़ लो
हौले से छुओ दर्पण में अपनी छवि
महसूस कर लो
अपने को छवि चित्र से
और ....
वह साँस लेने लगे
जो आजकल चुप रहता है
बस उसकी साँसें लिख दो ...
एक नयी कविता
जन्म..
साँसों से ...
बेताब कहने को
जो पिछले दो दिनों से
कोई कह न पा रहा
हाथरस
शोध छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश।
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