आदेश


राजीव डोगरा 'विमल', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


शमशान की राख को
सीने से लिपटाए फिरता हूँ,
महाकाल का भगत हूँ
उनका नाम लिए फिरते हूँ,
मैं चुपचाप
सभी की सुनता हूं
किसी को कुछ बोलता नहीं।
आदेश है माँ महाकाली का
बेमतलब इसलिए
किसी को सताता नहीं।
गुर्राता है कोई तो
मैं चुप रहता हूँ
फिर भी बेमतलब किसी को
मौत की नींद सुलाता नहीं।
खामोशियां है बहुत दफन
मेरे इस सीने में
मगर अपनी मां काली के अलावा
किसी को सुनाता नहीं।


युवा कवि लेखक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश


Post a Comment

Previous Post Next Post