नाचने-गाने वालो के ईर्द-गिर्द ही व्यस्त है भारतीय मीडिया, दुनिया के कुछ मीडिया हाऊस अमेरिकी फिनसेन में कर रहे सेंधमारी



सुनील वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।



 





दोस्तों! आज ही मैंने क्रिकेट के खरपतवार पर होने वाले सट्टा बजार पर एक लेख लिखा था और आज ही मुझे ये सूचना मिल गई-

Financial Crimes Enforcement Network अमेरिका की एक ऐसी संस्था है, जो दुनिया के लगभग 100 बड़ी वित्तीय संस्थाओ के काले कारनामों का लेखा-जोखा बड़ी गोपनीयता से रखती है। इस अमेरिकी नेटवर्क को फिनसेन भी कहा जाता है। अमेरिका का ये विभाग इन सूचनाओं को शेष विश्व के समक्ष कभी उजागर नहीं करता। अब ऐसा क्यो नही करता, इस पर एक पूरा लेख अलग से लिखा जा सकता है। अभी हाल ही में दुनिया के कुछ मीडिया हाऊस ने इस अमेरिकी फिनसेन में सेंधमारी का काम किया है, लेकिन उसमे भारतीय मीडिया का कोई नाम नही है, क्योकि ऐसा काम करना भारतीय मीडिया की औकात से बाहर का काम है। यहा तो पूरा मीडिया फिलहाल नांचने-गाने वालो के इर्द-गिर्द ही चक्कर लगा कर व्यस्थ रहता है। महीनों के परिश्रम के पश्चात यह समूह International Consortium Of Investigative Journalist नाम के एक ग्रुप के कुछ  पत्रकारो ने फिन सेन के वित्तीय अपराधिक सूचनाओ के खजाने से कुछ फाईले पार की है, जिनमें सन् 2000 से 2018 के बीच हुए विश्वभर के अपराधिक लेन-देन, जो लग-भग 2.5 खरब डॉलर के आस पास का लेखा-जोखा है। अभी ये कुछ ही फाईले है, जिसे इस आईसीआईजे ने अपने अधिकृत चैनलो और समाचार पत्रो में खोलना शुरू किया है, इसमे टीआरपी का गढ़ कहे जाने वाले भारत के कुछ लोगो के नाम भी उजागर हुए हैं।

ये कुछ वो नाम है, जिन्होने लगभग 7000 हजार करोड़ रूपये के संदिग्ध लेन-देन भारत के गरीब और टेक्सपेयर लोगो को धोखा देकर किए है। इनमें अगस्टा वेस्ट लैंड हेलिकॉप्टर मै दलाली खाने वालो के नाम है, गुजरात का एक हीरा व्यापारी है, खान मार्किट में कपड़े का कारोबार करने वाले एक व्यक्ति का नाम है और देश का एक बड़ा कबाड़ी, जिसे जिंदल स्टील के नाम से आप जानते हैं, उसका नाम भी इस लिस्ट में दर्ज है। ये ही नही, दुनिया का सबसे बड़े सट्टे वाले खेल, यानी आईपीएल के दो प्रयोजक, जिनमें एक पंजाब एलेवन के नाम से खैल रही टीम की प्रायोजक तथा दूसरा प्रख्यात और कुख्यात हीरो जो इस आईपीएल में खेल रही एक टीम का मालिक है। इसके अलावा भी भारत के कई घाघो के नाम इन फाईलो में दर्ज है, जिनके नामो के उपर से आने वाले दिनो में धूल जरूरी उठेगी।

अब देखना ये है कि बाल की भी खाल निकालने का दावा करने वाला भारतीय मीडिया को भी इस आईसीजेआई की सूचनाओ की काँपी पेस्ट करने का समय मिलता है या नही, जो फिलहाल अपने कैमरे उठाकर इन नाचने-गाने वालो के ईर्द-गिर्द ही व्यस्त है। 

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं





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