सुनील वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
आपको शायद मालूम होगा कि पहले फ़िल्म इंडस्ट्री लाहौर में थी,1947 में पाकिस्तान से आने वाले कलाकारों ने इसे बम्बई में शिफ्ट किया था, उसके बाद पाकिस्तानी पंजाबियों का इसमे वर्चस्व रहा। धीरे-धीरे फिल्म इन्डस्ट्री में काम करने वाले पाकिस्तानी पंजाबियों और पाकिस्तानी मुसलमानों में शादियां होनी शुरू हुई, तब इसमे मुसलमानों का वर्चस्व होता चला गया। फिर निर्माताओ-निर्देशको ने अपने स्वार्थ के लिए गुंडे पालने शुरू किए, जिन्होने यहां ड्रग का धंधा शुरू किया। इसके बाद इसमें इन गुंडो की पिलने लगी और फिर ये फिल्म इंडस्ट्रीज हाजी मस्तान और दाऊद की बाँलीवुड़ बन गई। उसके बाद ये नशेड़गर्दी और हत्याओ का एक रंगीन अड्डा और काले धन को सफेद करने का एक जरिया बन गया। फिर तीसरी पीढ़ी के खान बंधुओं ने इसे दाऊद के छत्रछाया मे एक्टर बनने के लिए आने वालों का योन शोषण करने का दाऊद एंड कंपनी से लाईसेंस प्राप्त कर लिया।
देश के सबसे बड़े कथित इस वेश्यालय (बॉलीवुड) के महानायक अमिताभ बच्चन भी इन खान बंधुओ के गुलाम बनकर रह गये। कर्ज से एकदम गरीब होकर अमर सिंह की थाली में खाकर पुनः अपना दौलत का साम्राज्य खड़ा करने वाले अमिताभ बच्चन अब बड़ा फूंक फूंक कर कदम रख रहें है, क्योंकि इन्होने अब दाऊद गैंग के आगे घुटने जो टेक दिए है। अब उद्धव ठाकरे व संजय राउत दोनो ने ही कैनेडियन नागरिक अक्षय कुमार व मनमोहन सिंह उर्फ अमिताभ बच्चन दोनो का नाम लेकर उन्हें इस मुद्दे पर बोलने को कहा तो इन दोनों ने अपनी अपनी पत्नियों को आगे कर दिया है। अब रिया चक्रवर्ती के समर्थन में एक तरफ ट्विकंल खन्ना तो दूसरी तरफ जय बच्चन ने खुल कर बेटिंग शुरू कर दी है। आज इसी का नतीजा है कि जया बच्चन बॉलीवुड गैंग की तरफ से मोदी और अमित शाह को ड्रग मामले में संसद में सरेआम धमका रही है कि जाँच बंद करो, वरना ठीक नही होगा।
संसद मे उनका ये कहना कि "लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते है" ये शब्द उसी की बानगी भर है। दोस्तों! इस बयान का मतलब आप समझ रहें है या नही..? क्योकि इस महानायक फैमली के करोड़ो फाँलोवर है, बहुत से लोग तो इनके परिवार को भगवान का दर्जा तक देते है। यहां तक कि इनके मंदिर तक बने हुऐ है और वहॉ हर रोज़ इनके परिवार के एक सदस्य की आरती भी होती है।
अरे जया जी! जिस थाली की बात आप कर रही हैं, वो थाली पहले ही से चरस-गाँजा और ड्रग से भरी हुई है और उस थाली में छेद करने का धर्म भी आप ही के घर शुरू हुआ है। मैडम जी! थाली बालीवुड नहीं परोसता है, थाली तो दर्शकों की कमाई के टुकड़ों से परोसी जाती है। अगर दर्शक कुत्तों को रोटी डालना बंद कर दे तो.... कहां जायेंगे। इतना कमाने के बाद भी ड्रग का धंधा, सेक्स रैकेट का धंधा और हिन्दुस्तान में रहकर हिन्दू विरोधी एजेन्डे पर काम करना बालीवुड और आपका पेशा बन गया है और हाँ! आप और आपके महानायक पति जिस थाली में छेद की बात करते है, उसमे खुद आपका परिवार भी फंसा है।
आपसे लाख गुना अच्छा वो भोजपुरिया कलाकार हैं, जिसे आप कोस रही है। कम से कम "नमकहराम" तो नही है।
कमाल है! खुद नशेड़ी है, लेकिन फिल्म बनाते हैं "उड़ता पंजाब", हद है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है