मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जन-जन के कंठ समाई
पहचान अमिट बनाई
राष्ट्रभाषा हिंदी
भारत माँ के माथे की बिंदी
समरसता फैलाती
ज्ञान की अलख जगाती
हिंदी सबसे सुंदर-सरल
विश्वस्तर पर सीना तान खड़ी पीकर गरल
बाकी भाषायें सखी-सहेलीं
नहीं बुझाते हम पहेली
हिंदी अपनी रानी है
बड़ी संघर्ष भरी कहानी है
बापू की चहेती हिंदी
एकता का अमर सूत्र हिंदी
कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैली
मैकालेपुत्र श्वेत चादर करो न मैली
रंग-रुप, ऊंच-नीच के सब भेद मिटाती
हृदय से हृदय के तार मिलाती
सरल-मधुर अपनी हिंदी
माँ भारती का श्रृंगार हिंदी
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा
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