दृश्य दुनिया की सबसे लंबी व पैदल धार्मिक यात्रा माँ नंदा देवी राजजात


शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


हिमालय महाकुंभ के नाम से विख्यात व विश्व की सबसे लम्बी व पैदल धार्मिक यात्रा का गौरव प्राप्त नंदा देवी राजजात यात्रा 12 वर्ष में बड़ी जात और हर वर्ष छोटी जात में रूप में मनाया जाता है। यह यात्रा अपने आप में दिव्य, अद्‌भुत व रोमांचकारी यात्रा है।माँ नन्दा भगवान शिव भोलेनाथ की अर्धांगिनी और उत्तराखंड की बेटी हैं, वह इस यात्रा के माध्यम से अपने ससुराल यानी कैलाश पर्वत जाती हैं। इस ऐतिहासिक यात्रा को गढ़वाल-कुमाऊं के सांस्कृतिक मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। नंदादेवी की यह ऐतिहासिक यात्रा चमोली जनपद के नन्दा नगर घाट के कुरुड़ गांव के दिव्य प्राचीन मंन्दिर से नन्दा देवी की डोली के साथ यात्रा का शुभारंभ होता है।



राजजात के लिये उत्तराखण्ड सरकार सहित आयोजन समिति और अन्य सम्बन्धित पक्षों ने तैयारियां शुरू की जाती है, इसके साथ ही इस ऐतिहासिक यात्रा का नेतृत्व करने चौसिंग्या खाडू की तलाश भी शुरू हो जाता है। यात्रा से पहले इस तरह का विचित्र मेंढा चांदपुर और दशोली पट्टियों के गावों में से कहीं भी जन्म लेता रहा है। विशेष कारीगरी से बनीं रिंगाल की छंतोलियों, डोलियों और निशानों के साथ लगभग 200 स्थानीय देवी देवता इस महायात्रा में शामिल होते हैं। समुद्रतल से 13200 फुट की उंचाई पर स्थित इस यात्रा के गन्तव्य पैदल रहस्यमयी रूपकुंड होकर हेमकुंड तक जाती है।



होमकुण्ड के बाद रंग बिरंगे वस्त्रों से लिपटे इस मेंढे को अकेले ही कैलाश की ओर रवाना कर दिया जाता है। यात्रा के दौरान पूरे सोलहवें पड़ाव तक यह खाडू या मेंढा नन्दा देवी की रिंगाल से बनी छंतोली (छतरी) के पास ही रहता है। समुद्रतल से 3200 फुट से लेकर 17500 फुट की ऊंचाई तक पहुंचने वाली यह 280 किमी लम्बी पदयात्रा 19 पड़ावों से गुजरती है। यात्रा के दौरान रास्ते में घने जंगल, पथरीले मार्गों व दुर्गम चोटियों और बर्फीले पहाड़ों को पार करना पड़ता है।



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