सवैया (मत्तगयंद) 7 भगण अंत में 2 गुरु


डॉ दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

चार सखी मिल पूंछ रही

बतला कछु प्रीतम रासन रातें।

एक सखी लजके हंस बोलति

पांय परों मत पूंछहि बातें।

हाय दई अंखियां मुचि जाय

हिया हरषाय नशा चढ़ जाते।

दूसरि मोहित मूरति सी 

चुप होय हिया हुलसे बल खाती।।

 

आगर मालवा मध्य प्रदेश

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