बूँद - बूँद अनमोल






मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


बूँद-बूँद अनमोल
जल की कीमत मत तोल


सोच समझकर नीर बहा
कभी व्यर्थ न इसको बहा


जल बिन न जीवन
जल ही है सब तन मन धन


रे मनुज तू जा सँभल
अमृत से कीमती जल


पृथ्वी की हर हलचल
संभव करता है जल


प्राकृतिक संसाधन सँवार
बहती रहेगी नदिया की धार


बदल जायेगा सारा भूगोल
रे मनुज ! बिना जल


हर साँस संभव करे जल
बचाके नीर सुधारो कल


विद्वान बोले पानी करायेगा युद्ध
इसीलिए जल को रखो शुद्ध


धरती पर जीवन बचाना है
हर बूँद संरक्षित रखना है


ग्राम रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, उ. प्र.






Post a Comment

Previous Post Next Post