आजादी के सही मायने अर्थात भारत


आशुतोष, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 

 

भारत ही वह देश है, जहाँ अलग अलग भाषा पग- पग बदलती संस्कृति और उनमें सभी को अपने अधिकार। यह अजूबा संग्रह कही नहीं मिलता। जहाँ पृथकतावादी विचार हो, लेकिन सभी को आजादी, लिखने, बोलने, रहने और अपने अपने धर्म की रक्षा करने का विशेष अधिकार संविधान से प्राप्त हो। सचमुच बड़ा ही कठिन और अचंभित करनेवाला है। यहाँ के पर्व-त्योहार, सभ्यता,  संस्कृति की अनोखी मिशाल दुनियाभर में प्रसिद्ध है कई ऐसे पर्व हैं जो विदेश में भी प्रचलित हो गयी है।

भारत का इतिहास गौरवशाली है जिसमें शास्त्र, पुराण, वेद, रामायण, महाभारत, गीता जैसे धर्म ग्रंथ है। हजारो वीरों का इतिहास है। देव, दानवो मानवो, महात्मा ऋषि मुनियो का वर्णन है। योग आर्युवेद जैसे स्वास्थ्य पद्धति है। इतने सारे गुण को सहेजना और सभी को एक जैसा अधिकार देना कोई सहज काम नही होता, लेकिन देश के चारो स्तम्भ ने अबतक इसे बड़ी अच्छी तरह से संचालित कर देश का मान दुनिया के मंचो पर स्थापित कर एक जिम्मेदार उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसके बदौलत आज भारत दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है। भारतीय लोकतंत्र सही मायने में अदभूत और विश्वसनीय कार्य कर रहा है जो देश को हरपल गौरवान्वित करता रहा है।

स्वतंत्रता संग्राम जो लंबी अवघि तक चला, जहाँ मंगल पाण्डे, रानी लक्ष्मी बाई, वीर कुंवर सिंह, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, गांधी, सुभाष, पटेल जैसे महापुरुषों ने इस संग्राम में  महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उनका मकसद एक था आजादी, जो हमें मिली। इन सबके लंबी संघर्ष को शायद इन बीते वर्षो में पढ़कर लिखकर सुनकर भी आज हमलोग उनके विचारो का अनुसरण कर पाये यह बड़ी बात है। आज जरूरत इसी बात की है।

आज लोग इस लोकतंत्र पर विश्वास और आस्था के साथ अपने जान से ज्यादा विश्वास करते हैं। भारत एक विशाल जनसमूह, जो विभिन्न परम्पराओ और विविधताओं से भरा रहा है फिर भी हम सब को एक माला में पिरोकर मजबूती के साथ आगे बढा रहा है, जिसमें संविधान और संसद की अहम भूमिका रही है। आज यह  जिस रूप में हमारे सामने है, उसे ऐसा गढ़ने में सभी की भूमिका रही है। लोकतंत्र के चारो स्तम्भ मिलकर देश को मजबूती प्रदान कर रहे और लोगो का विश्वास कायम रहे यह अपने आपमें बडी बात है।

 

                    पटना बिहार 

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